दुनिया का सबसे लंबा वंश कौनसा हैं? जानिए
क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति और क्रांतिकारी कम्युनिस्ट नेता फ़िदेल कास्त्रो की मौत के बाद देश में नौ दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया गया है. फ़िदेल कास्त्रो का निधन 90 वर्ष की उम्र में हुआ.
रविवार को हवाना में आयोजित एक निजी समारोह समारोह में उनका अंतिम संस्कार किया जाना है. यह बताया गया है कि अगले सप्ताह उनकी राख को देश के कोने-कोने में ले जाया जाएगा और चार दिसंबर को उन्हें सैंटियागो में दफ़ना दिया जाएगा.
मृत्यु की घोषणा के बाद…
सबसे अधिक समय तक शासन करने वाले दुनिया के शासकों में से एक फ़िदेल कास्त्रो के निधन की उनके छोटे भाई और क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने शुक्रवार रात घोषणा की थी.
हवाना में मौजूद बीबीसी संवाददाता के मुताबिक़ कुछ लोगों ने जहां कास्त्रो की मौत पर राहत की सांस ली है, वहीं आम क्यूबावासियों ने ग़म का इज़हार किया है.
दरअसल, साल 1959 में अमरीका समर्थित क्यूबा के तानाशाह बतीस्ता को सत्ता से हटाकर फ़िदेल कास्त्रो ने क्यूबा में कम्युनिस्ट सत्ता कायम की थी. उसके बाद उनपर आरोप लगे कि उन्होंने विपक्षियों का अराजक तरीकों से दमन किया और पत्रकारों को मरवाया.
लेकिन आम क्यूबावासियों का कास्त्रो से भावनात्मक जुडाव रहा है. स्थानीय लोग मानते हैं कि कास्त्रो ने उनके देश को एक साम्यवादी क्रांति के ज़रिए अमरीका संचालित तानाशाह से आज़ाद कराया.
कम्युनिस्ट नेता फ़िदेल कास्त्रो ने करीब 50 साल तक क्यूबा में एकछत्र राज किया. इस दौरान क्यूबा में कोई दूसरी पार्टी नहीं थी, जो उनकी दावेदारी को चुनौती दे पाती.
यह वो दौर भी था, जब दुनिया भर में कम्युनिस्ट शासन ढहते जा रहे थे. लेकिन फ़िदेल कास्त्रो अपने सबसे बड़े दुश्मन संयुक्त राज्य अमरीका की खुलकर आलोचना करते रहे और लाल झंडे को कभी झुकने नहीं दिया.
फ़िदेल कास्त्रो की छवि एक अमरीका विरोधी की रही. अमरीकी एजेंसी सीआईए ने कई बार उनकी हत्या की साज़िश भी रची, लेकिन वो हर बार बचकर निकलते रहे.