दुर्योधन के अनसुने तथ्य क्या हैं और वह कितना शक्तिशाली था?

धृतराष्ट्र और गांधारी के ज्येष्ठ पुत्र दुर्योधन एक महारथी योद्धा था। इनमें एक हजार आदमियों का बल था। धनुर्धर में सामान्य परन्तु गदा युद्ध में द्वापर युग के सर्वश्रेष्ठ गदाधर थे इनके गदा युद्ध की तारीफ खुद भी बलराम ने की और उन्होंने ही दुर्योधन को सर्वश्रेष्ठ गदाधर की संज्ञा दी। दुर्योधन ने बिना किसी आशीर्वाद या सोमरस पिये बिना महाभारत युद्ध में भीम को पराजित कर रण छोड़ने पर विवश किया भीम की इनकी जाति दुश्मनी थी।

1- जैसे दुर्योधन का असली नाम सुयोधन और दुश्शासन का असली नाम शुसासन था पर भीम को जहर देने वाली बात जानने पर पांडवों ने सुयोधन को दुर्योधन कहने लगे यहीं नहीं दुर्योधन ने भी भीम को निः मुछिया और बैल और मंदबुद्धि नाम दिया जिसे बाद में महाभारत युद्ध में शब्द युद्ध में ये नाम कहकर मनोबल तोड़ने का काम करतें थे।

2- दुर्योधन की पत्नी भानुमति एक कृष्ण भक्त थीं और उनकी पुत्री लछमणा भी पर दुर्योधन को इससे कोई दिक्कत नहीं थी।

3- भानुमति दुर्योधन के साथ मल्लयुद्ध भी करतीं थीं यह बात गांधारी ने स्वीकार की।

4- दुर्योधन ने भानुमति को वचन दिया की वह कभी भी दूसरा विवाह नहीं करेगा जब तक भानुमति के रहते।

5- दुर्योधन बचपन से बुरा नहीं था कि न ही पांडव का दुश्मन था अगर होता तो जब पांडव वन में माता कुंती और पांडु के साथ जंगल में रहते थे तब दुर्योधन ने कभी कोई हानि नहीं पहुंचाई पर महल मे आकर जब पांडु पुत्र ने उसकी वस्तु पर अधिकार किया तब से दुश्मनी बढ़ने लगी।

6- दुर्योधन ने अपनी बहन दुशशला और पुत्री लछमणा का प्रेम विवाह करवाया ।

7- दुर्योधन ने कर्ण को मगध जैसे शत्रु को घेरने के लिए करण को राजा बनाया और कर्ण ने राजा बनते ही मगध पर आक्रमण करके उसे हस्तिनापुर में मिलाया।

8- दुर्योधन ने अश्वत्थामा को दोपदी पुत्र की हत्या करने पर बहुत डांटा और कहा की अब वंश में तर्पण करने वाला कोई नहीं रहा।

9- दुर्योधन ने जब भीमसेन को अपने भाइयों को पिटता देखा तब से भीम को विष देने का मन बनाया कहते हैं दुर्योधन भीम से इतना जलता था की जब पांडव 12 वर्ष वनवास में थे तब दुर्योधन ने भीम की लौह मूर्ति बनवाकर उस पर गदा से अभ्यास करता था और अंतिम युद्ध में जब किसी एक पांडव को हराने पर हस्तिनापुर वापस लेने का वचन युधिष्ठिर ने दिया तो चाहता तो एक पांडू को हराकर राज्य ले सकता था पर उसने भीम को चुना इससे पता चलता है कि दुर्योधन भीम को ही सिर्फ मारना चाहता था।

10- दुर्योधन दोपदी स्वयंबर में भाग नहीं लिया था और अपनी जगह अपने भाई कर्ण ( दानवीर कर्ण नहीं क्योंकि वेदव्यास ने कर्ण को हमेशा राधानंदन या सुतकुमार कह सम्बोधित किया ताकि भ्रम न हो) को स्वयंबर में भाग लेने को कहा पर वह मछली की आंख भेद नहीं पाया।

11- दुर्योधन एक मायावी योद्धा था और उसके राक्षशो से अच्छे सम्बन्ध थे। जैसे अलायुध अलमबाला अलमबुष आदि।

12- दुर्योधन ना चाहते हुए भी युधिष्ठिर को प्रणाम कर आशीर्वाद लेता था।

13- दुर्योधन का विवाह जब सुभद्रा से नहीं हुआ तो बलराम जी ने दुर्योधन पुत्र लक्ष्मण को अपनी पुत्री का विवाह करने का विचार किया पर अर्जुन की तरह अभिमन्यु ने लक्ष्मण की होने वाली पत्नी का अपहरण घटोत्कच की सहायता से किया और तब से दूरयोधन और उसके पुत्र लक्ष्मण का पांडवो से शत्रुता प्रारम्भ हुई।

14- दुर्योधन ने कर्ण को हमेशा एक बड़े योद्धा के रूप में सम्भाल कर रखने के लिए भीष्म की बात मान ली की कर्ण युद्ध नहीं करेगा।

15- जब दुर्योधन पैदा हुआ तो उसकी मुट्ठी में खून भरा हुआ था तो सबने धृतराष्ट्र को उसे त्यागने को कहा पर धृतराष्ट्र ने ऐसा पाप नहीं किया ।

16- दुर्योधन के बचें भाईयों ने महाभारत युद्ध के बाद समर्पण कर दिया था और दास बनना स्वीकार किया पर भीम ने फिर भी अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए उनका वध कर दिया ।

17- दुर्योधन स्वभाव से बुरा नहीं था पर मामा शकुनी के सम्पर्क में आने पर वह बदल गया ।

18- दुर्योधन ने भीम को महाभारत युद्ध के बीच में कई बार पराजित कर रण छोड़ने पर विवश किया मतलब बिना गांधारी के आशीर्वाद के दुर्योधन भीम के बराबर का योद्धा था।

19- दुर्योधन ने हर जन्म में धृतराष्ट्र जैसा पिता पाने की इच्छा प्रकट की थी और अपने पिता के साथ अंधे होने के कारण हूए अन्याय से बहुत दुखी था और यही चिंता उसे भी थी की जरुर पांडु की तरह पांडु पुत्र भी उसका राज्य ले लेंगे।

20- महाभारत युद्ध के बाद कृष्ण ने दुर्योधन के सिर को भीमसेन को कुचलता देख भीम पर कोधित हुए और उसे मंदबुद्धि कहा । भीम ने दुर्योधन के श्राद्ध के लिए धृतराष्ट्र को धन नहीं दिया तब चुपके से युधिष्ठिर ने धन दिया और भीम के अपराध के लिए खुद क्षमा मांगी।

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