देवर्षि नारद को तीनों लोक में घूमते रहने का श्राप किसने दिया? जानिए उनका नाम
नारद मुनि परमभगवदभक्त, संगीताचार्य, और भगवद भक्ति के प्रचारक हैं। ये महति नामक वीणा बजाकर तीनों लोकों में भगवान के गुणों का बखान करते हैं।
नारद मुनि को ब्रह्मा जी ने अपने कंठ से उत्पन्न करके सृष्टि सृजन में योगदान की अपेक्षा कि परंतु नारद मुनि तर्क वितर्क करके ब्रह्मा जी को क्रोधित कर देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इन्हें श्राप दिया था कि तुम एक जगह दो घड़ी से ज्यादा स्थिर नहीं रह पाओगे।
ऐसे ही एक बार नारद मुनि घूमते हुए दक्ष प्रजापति के यहां पहुंचते हैं। वहां पहुंचने के बाद दक्ष के पुत्रों को इन्होंने निवृत्तिपरक उपदेश दे दिया जिसके फलस्वरूप उनके पुत्र संन्यासी बन गये। इस बात पर दक्ष क्रोधित हो उठे और उन्होंने नारद को शाप दिया कि अगर तुम गोदोहन से ज्यादा एक जगह टिके तो तुम्हारा मस्तक छिन्न भिन्न हो जाएगा।
नारद जी का सम्मान सुर, असुर, नाग, किन्नर, गंधर्व सभी करते हैं। ये सभी लोगों को बिना स्वार्थ के उपदेश देते हैं। इनके दिए उपदेशों की वजह से बहुत बार स्थिति बिगड़ भी जाती है । यही नहीं नारद जी कभी कभी शिव पार्वती, लक्ष्मी नारायण में भी मतभेद उत्पन्न कर देते हैं।