दो ट्रेनों के क्रॉस होने पर ‘बाद में आने वाली ट्रेन’ पहले क्यों चली जाती है?
नोट :— बहुत ध्यान से दो बार पढ़ेंगे तभी समझ में आयेगा क्योंकि यह उत्तर डिमोन्स्ट्रेशन से ज्यादा अच्छी तरह से समझाया जा सकता है।
यह प्रश्न उसके ही दिमाग में आ सकता है जिसने सिंगिल लाइन सैक्शन में काफी यात्रा की हो और बड़ी बारीकी से ट्रेन की क्रासिंग कई बार देखी हो।
सिंगिल लाइन सैक्शन में जब एक दिशा से कोई ट्रेन आ रही हो तो उसको पास करने के लिए ‘उसके विपरीत दिशा’ से आने वाली ट्रेन को एक स्टेशन पर रोकना पड़ता है। इस प्रक्रिया को क्रासिंग कहते हैं।
ऐसा केवल इकहरी (Single) लाइन सैक्शन में ही होता है। इस प्रक्रिया को समझने के लिए कोई 3 स्टेशन A, B, C की कल्पना कीजिए। तीनों स्टेशन लगातार में हैं नीचे के स्कैच की तरह।
A ———————— B ————————C
अब एक ट्रेन स्टेशन C से B की तरफ आ रही है और उसी समय एक ट्रेन स्टेशन A से B की तरफ आ रही है। इनकी क्रासिंग B स्टेशन पर होगी। जो ट्रेन पहले आ जायेगी उसे एक लूप लाइन में खड़ा कर लिया जायेगा। सिंगिल लाइन रेलवे स्टेशन पर अमूमन मेन लाइन के अलावा दो लूप लाइन होती हैं। इन लूप लाइन पर एक दिशा से आने वाली ट्रेन को खड़ा करके दूसरी दिशा से आने वाली ट्रेन को दूसरी लूप लाइन पर रिसीव किया जाता है।
मान लेते हैं स्टेशन C से आने वाली ट्रेन स्टेशन B पर पहले आ कर खड़ी हो जाती है। अब स्टेशन A से आने वाली ट्रेन स्टेशन B पर आकर 2 मिनिट खड़ी होती है और अपना मैटल टोकन (गोला), जिसे लाइन क्लियर कहते हैं, लेकर पहले चली जाती है और पहले से खड़ी ट्रेन 2–3 मिनिट बाद स्टेशन A की तरफ छोड़ी जाती है।
प्रश्न यही है कि जो ट्रेन पहले से खड़ी है वह खड़ी ही रह जाती है और ‘बाद मेंं आने वाली ट्रेन’ उससे पहले चली जाती है।
इसका कारण यह है कि जैसे ही स्टेशन C से आने वाली ट्रेन स्टेशन B पर आकर खड़ी होती है वैसे ही स्टेशन C से विपरीत दिशा (स्टेशन A ) से आने वाली ट्रेन के लिए लाइन क्लियर ले लिया जाता है और उसका टोकन (गोला) लेकर पाइंट्स मैन को स्टेशन A से आने वाली ट्रेन के लिए भेज दिया जाता है। इस तरह से स्टेशन A से आने वाली ट्रेन का लाइन क्लियर एडवांस में रेडी है इसलिए वह बाद में आकर भी पहले छूट जाती है।
अब जैसे ही स्टेशन A से आने वाली ट्रेन अपना टोकन (गोला) स्टेशन B पर फेकेगी। तब उसे लेकर पाइंट्स मैन स्टेशन आफिस में आकर स्टेशन मास्टर को देगा। स्टेशन मास्टर उस टोकन को ब्लॉक उपकरण में डालकर सैक्शन क्लियर करेगा। तब स्टेशन A से अपने स्टेशन पर खड़ी ट्रेन के लिए लाइन क्लियर माँगेगा। लाइन क्लियर मिलने पर ब्लॉक उपकरण से टोकन निकलेगा और इस टोकन को पहले से खड़ी ट्रेन के ड्राईवर को देगा, तब जाकर पहले से खड़ी ट्रेन स्टेशन A की तरफ प्रस्थान करेगी।
यह बात मुझे भी रेलवे सर्विस में आकर 1975–76 में समझ में आयी थी। इस तथ्य को रेलवे के सिगनल विभाग या परिचालन विभाग के कर्मचारी जैसे सिगनल निरीक्षक या स्टेशन मास्टर ही ठीक से समझा सकते हैं। प्रत्येक रेलवे वाला यह नहीं जानता।
जिस ब्लॉक उपकरण की मैंने बात की है, वह ऐसा होता है और उसी की मदद से लाइन क्लियर लिया जाता है और ब्लॉक से ही हैंडल घुमाने पर टोकन निकलता है।