दो बिल्लियां और चालाक बंदर बढ़िया मजेदार कहानी

 एक बहुत घना जंगल था उस जंगल के पास एक छोटा सा गांव था गांव छोटा होने के कारण बहुत ही खूबसूरत और खुशहाल था उस गांव में हर दिन बाहर से लोग टहलने आते गांव में होटल था जहां पर वह बैठकर भोजन करते और गांव टहलते उस गांव का यह रोज का नियम था वह होटल टूरिस्टों से ही चलता था .

क्योंकि गांव बहुत छोटा था इसलिए गांव के सहारे होटल नहीं चल सकता 1 दिन का समय था आसमान में बादल छाए हुए थे तभी दूध टूरिस्ट टहलने उस गांव में आए वे टूरिस्ट होटल से रोटी लेकर उसी जंगल की छाया में खाने चले गए खाते-खते उनका पेट भर चुका था उनके पास दो रोटियां बच गई जिसे वे लोग वहीं पर छोड़ कर चले गए उधर से दो बिल्लियां आई और रोटियों को लेकर चली गईयह दोनों वोटिंग के लिए लड़ाई करनी है कि वह रोटी उन्होंने पहले देखी इसलिए वह दोनों रोटी उनकी नहीं लेकिन उन दोनों को यह मंजूर नहीं था,

वह दोनों बंदर के पास गई बंदर के पास एक तराजू था जिसे बंदर ने ला कर दोनों रोटी की तुलाई करना शुरू किया जिधर का पलड़ा भारी होता उधर की रोटी तोड़ कर बंदर खा जाता एक साइड की तोड़ता तो दूसरा पलड़ा भारी हो जाता बंदर दूसरे साइड का टुकड़ा भी तोड़ कर खा जाता ऐसा करते करते रोटी खत्म हो गई और दोनों बिल्लियां मुंह बनाकर रह गई।

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