नदी समुंद्र आदि में पुल का निर्माण कैसे किया जाता है जबकि वहां अत्यधिक पानी होता है? जानिए

बहते हुए पानी में निर्माण कार्य करना हमेशा से मुश्किल रहा है। इसके लिए अनेक उपाय करने पड़ते हैं।

2011 से 2016 तक भवन निर्माण की कंपनियों में काम करने के बाद 2016 में मैंने एक पुल निर्माण करने वाली एक कंपनी में बतौर quantity surveyor के रूप में ज्वाइन किया और पुल निर्माण की प्रक्रियाओं को नजदीक से देखा।

तो आइए जानते है कि नदी अथवा समुद्र में पुल का निर्माण कैसे किया जाता है।

पुल का अभिकल्पन (डिजाइन) करते समय पानी की अधिकतम और न्यूनतम गहराई, पानी के बहाव की गति, पानी के नीचे की मिट्टी की प्रकृति, पुल का भार, पुल पर चलने वाले वाहनों का भार आदि के हिसाब से पुल की नींव (Foundation) का प्रकार तय किया जाता है, और फिर नींव का अभिकल्पन किया जाता है।

पानी में बने पुल की नींव की सामान्यतः दो प्रकार की होती है-

  1. Pile Foundation
  2. Well Foundation

अब बात आती है कि बहते हुए पानी में काम कैसे करें?

इसके लिए पानी में एक टेम्पररी एकसेस के लिए एक मजबूत लोहे का पुल बना लिया जाता है।

इस पुल की सहायता से पानी में लकड़ी की बल्ली (wood pile) वृत्ताकार आकार में धंसा दी जाती हैं। इनके बीच में रेत से भरे बोरे फंसा दिए जाते हैं। अब शुरू होता है इस वृत्त में रेत या मिट्टी भरने का काम। जब मिट्टी पानी के सतह से ऊपर आ जाती है तो लोहे के पुल से फाउंडेशन के निर्माण हेतु इंजीनियर, मजदूर और मशीन अपना काम शुरू करते हैं।

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