पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर क्यों कहते हैं कि अब्दुल कलाम एक साधारण वैज्ञानिक थे?
कौन हैं अब्दुल कादिर खान?
अब्दुल कादिर खान ने भारत में भोपाल के एक संपन्न परिवार में जन्म लिया जो की 16 की उम्र में सन् 1952[1] भारत से पाकिस्तान में जा कर बस गया था| अब्दुल कादिर खान ने फिजिक्स और गणित की पढ़ाई पाकितान में करने के बाद Metallurgy का अध्ययन करने के लिए जर्मनी और नीदरलैंड चला गया| अपने डॉक्टरेट के कुछ साल बाद वह URENCO (परमाणु तकनीक पर काम करने वाली एक प्रयोगशाला) में शामिल हो गया| अपने काम दौरान उसने यूरेनियम सेंट्रीफ्यूज के ब्लू-प्रिंट को चुरा लिए और कुछ समय बाद सन् 1974 में अपने देश में घूमने जाने के नाम पर छुट्टी लेकर वंहा से ब्लूप्रिंट के साथ भागने में कामयाब रहा| उसके चोरी किये हुए ब्लूप्रिंट ने पाकिस्तान को परमाणु संपन्न बनाने में बहुत मदद की|
इसके बाद खान ने लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों को कथित तौर पर परमाणु तकनीक बेचने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बनाने का कार्य शुरू कर दिया| लेकिन वह जल्द ही पकड़ा गया[2] और उसे माफी मांगने और अपना अपराध स्वीकार करने के लिए राष्ट्रीय टीवी पर आना पड़ा। उसे कई वर्षों तक नजरबंद रखा गया। वह आज अज्ञानता का जीवन जीते हैं, और शायद ही कभी मीडिया को साक्षात्कार देते हैं।
कौन हैं एपीजे अब्दुल कलाम?
भारत के महान वैज्ञानिक और हमारे प्रेरणास्रोत अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, एक बहुत ही गरीब परिवार में पैदा हुए थे और उन्हें बचपन में एक अखबार बेचने वाले लड़के के रूप में काम करना पड़ा था| कलाम ने भौतिकी में स्नातक किया और कॉलेज में अपने एक प्रोजेक्ट के एक हिस्से के रूप में भारत की पहली होवरक्राफ्ट का निर्माण करते हुए छात्रवृत्ति पर एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया|
कॉलेज की पढ़ाई के बाद, वह एक फाइटर प्लेन पायलट बनने से थोड़े से चूक गए और DRDO में शामिल हो गए| DRDO में 9 साल काम करने के बाद, उन्हें भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च वाहन( राकेट) बनाने के परियोजना निदेशक के रूप में इसरो के लिए स्थानांतरित कर दिया गया| इस सैटेलाइट लॉन्च वाहन द्वारा रोहिणी और आर्यभट्ट उपग्रह[3] को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रेक्षित किया गया था| (आपको याद होगा कि पुराने 2 रुपये के नोट के पीछे इसकी फोटो छपी हुई थी)
आने वाले वर्षों में, उन्होंने ISRO में PSLV रॉकेट प्रणाली और एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम( Integrated Guided Missile Development Programme[4]) को विकसित करने के लिए परियोजनाओं का नेतृत्व किया| इसके अलावा, सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में उन्होंने पोखरण II का निरीक्षण भी किया| साथ ही निजी परियोजनाओं पर काम करते हुए उन्होंने ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवा के लिए कम लागत वाले कलाम-राजू कार्डियोवस्कुलर स्टेंट और कलाम-राजू टैबलेट कंप्यूटर का विकास भी किया|
डॉ कलाम ने 2002 में भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में फिर से देश की सेवा करना शुरू कर दिया| राष्ट्रपति बनने के बाद , डॉ कलाम ने पढ़ाने के लिए अपना जुनून जारी रखा और एक प्रोफेसर के रूप में अन्ना विश्वविद्यालय में शामिल हो गए। एपीजे अब्दुल कलाम का 2015 में शिलांग में कुछ युवा छात्रों को व्याख्यान देते समय निधन हो गया था।
भारत रत्न, डॉ कलाम को आम जनता के राष्ट्रपति के रूप में जाना जाता था और उन्होंने अपने जीवन काल में कई पुरस्कार और प्रशंसा अर्जित की। स्विट्जरलैंड में उनकी यात्रा के दिन को हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। ओडिशा में राष्ट्रीय मिसाइल परीक्षण स्थल का नाम बदलकर सितंबर 2015 में अब्दुल कलाम द्वीप रखा गया था। डॉ कलाम ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया और अभी भी कर रहे|
भारत रत्न, डॉ अब्दुल कलाम को एक साधारण वैज्ञानिक कहने में अब्दुल कादिर खान शायद सही हैं। वह एक साधारण भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने अपने देश को गौरवान्वित किया। वह एक साधारण वैज्ञानिक थे जो दुनिया भर के लोगों के लिए एक आदर्श बन गए थे।