पुरानी फिल्मों में अक्सर दिखाई देने वाला डॉक बँगला क्या होता है ? जानिए इसके बारे में
- प्राचीन काल से राजाओं महाराजाओ ने अपने नगर में धर्मशाला या रात्रि निवास बनाये थे।
- जिस से उनके नगर में आये यात्रियों और व्यपारियों को रात्रि में भोजन और आश्रय मिल जाये ।
- इनके लिए नाम मात्र का शुल्क लिया जाता था और निर्धन यात्रियों से वो शुल्क भी नही लिया जाता था।
- शनै शनै ईस्ट इंडिया कम्पनी ने व्यापार के नाम पर हमारे भारत को लूटना आरंभ किया वो लूट सुनियोजित रूप से चलती रहे उसके लिये हरकारे या पैदल डाक लाने वाले आते थे परंतु इनकी गति मंद होती थी डाक के लिए घुड़सवार का भी प्रयोग किया जाता था।
डाक बंगलो के निर्माण की आवश्यकता
- जहां ये डाक आती थी उस स्थल पर अंग्रेज़ को या उनके चाटूकारों के सरलतापूर्वक अस्थायी निवास हेतु कुछ बंगलो का निर्माण किया गया ।
- इन डाक-बंगलों का किसी स्थल के अनुसार विशिष्ट सौंदर्य होता है कही कहीं अंग्रेज़ो ने किसी असाधारण रमणीय सौंदर्य दर्शन के लिए उस डाक बंगले का निर्माण किया था।
- इन डाक बंगले पर अधिकारियों के ठहरने के लिए सुविधा युक्त सुसज्जित कक्ष फलदार व छायादार बागान के साथ यह सुगन्धित पुष्पो से महकता रहता था।
- इन मे अतिथि गृह भी भिन्न बनाया जाता था जो उस डाक बंगले में रुके अधिकारी के अतिथियों के लिए होता था।
- उस स्थल की ख्याति उस स्थान के डाक बंगले के नाम से दर्ज हो जाती थी आजकल पर्यटक वहां पहुंचने के लिए लालायित हो उठते हैं।
देश की स्वतंत्रता के पश्चात डाक बंगले की उपयोगिता एवम स्थिति
- देश के स्वतंत्र होने के पश्चात जनप्रतिनिधि और सरकारी अधिकारी इन बंगलो में अस्थाई रूप से रुकते हैं।
- डाक बंगला भवन के चारों ओर कचरे का ढेर लग गया है जो हरियाली थी उनके स्थान पर जंगली बेल, झाड़ियां और घास उग गयी है गमले भी टूटफुट गए हैं।
- इन डाक बंगलो की आज का मूल्य करोड़ो रूपये होगा परन्तु इनकी समुचित देखभाल न होने के कारण ये भुतहा बंगलो में परिवर्तित हो गए है।