प्राचीन काल में जब कूलर या एयर कंडीशनर नहीं थे, तब लोग गर्मी से बचाव कैसे करते थे? जानिए

राजस्थान के सबसे अधिक गर्म स्थानों में से एक चूरू का रहने वाला हूँ, जहाँ तापमान गर्मियों में 50 डिग्री से भी अधिक रहता है । सभी जगहों की तो नही लेकिन में अपने स्थान पर पुराने जमाने मे प्रयोग में आने वाले उपाय बताने का प्रयास करता हूं ।

घरों की बनावट – पहले के लोग इसको ध्यान में रखते हुए अपने घरों को इसी प्रकार का आकार देते थे, दीवारों की चिनाई मिट्टी से की जाती थी और उनकी मोटाई लगभग एक फिट तक होती थी, जो सूरज की तेज गर्मी को रोकने में बहुत सहायक होती थी, चिकनी मिट्टी आज प्रयोग होने वाली सीमेंट की अपेक्षा काफी कारगर थी ।

घरों में दरवाजे और खिड़कियों की ज़्यादा संख्या होती थी, जो पूरी तरह से हवादार होने में सहायक होती थी । इसका उदारहण स्वरूप में आपको एक हवेली का उदाहरण देता हूँ । सुराणा की हवेली, जिसमें दरवाजों व खिड़कियों की संख्या 1111 है । इसी प्रकार मालजी का कमरा इत्यादि कई पुरानी घरों की बनावट ऐसी ही है ।

झोंपडी में रहने वाले लोग खाली बोरी को पानी से भिगोकर दरवाजे व चारों तरफ लगा देते थे, जो कूलर से भी अच्छी हवा देते थे । घरों के आगे खाली जगह ज़्यादा होती थी, उसमें छायादार वृक्ष लगाए हुए रखते थे, जो तापमान को नियंत्रित रखते थे ।

खानपान – लोग राबड़ी (एक शीतल पेय), छाछ, दही और प्याज़ का अधिक सेवन करते थे जो शरीर का तापमान कम करने में सहायक थी ।

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