फंगस संक्रमण को लेकर विशेषज्ञों ने दी सलाह
कोरोना वायरस महामारी के बीच अब म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है।इसका सबसे ज्यादा प्रभाव कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हुए लोगों में मिल रहा है। सरकारें अभी इससे निपटने की तैयारी ही कर रही है कि अब व्हाइट और येलो फंगस भी सामने आ चुके हैं।इसी बीच महामारी विशेषज्ञों ने कहा है कि फंगस के रंग से घबराने जरूरत नहीं है और इसके लक्षण और खतरों पर ध्यान दिया जाना याहिए।
देश में सामने आए ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस के मामले
देश में ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस के मामले सामने आ चुके हैं।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा था 18 राज्यों ने म्यूकरमायकोसिस के 5,424 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से 200 से अधिक की मौत हो चुकी है।इसी तरह बिहार की राजधानी पटना में व्हाइट फंगस के चार तथा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में येलो फंगस का एक मामला सामने आ चुका है। इससे लोगों में फंगस संक्रमण का भय बढ़ता जा रहा है।
गंभीर
येलो फंगस को बताया जा रहा है सबसे अधिक खतरनाक
विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फंगस में चेहरे पर सूजन, सिरदर्द, आंखों में सूजन, धुंधला दिखना या अंधेपन का खतरा अधिक रहता है।इसी तरह येलो फंगस फेफड़ों के साथ त्वचा, मुंह के भीतरी हिस्से, पेट, आंत आदि को संक्रमित करता है और ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक है।इसके अलावा येलो फंगस शरीर के अंदरूनी अंगों को निशाना बनाती है और संक्रमण के अधिक होने पर अंग काम करना बंद कर देते हैं। यह दोनों से अधिक घातक है।
सलाह
रंगों के उपयोग से लोगों में बैठ रहा है डर- पांडा
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) में महामारी विज्ञान और संचारी रोग प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा कि “ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस जैसे शब्द लोगों में डर बढ़ाने और उन्हें आशंकित कर रहे है। मैं लोगों से कहूंगा कि फंगस के रंग के कारण डरे नहीं और इसके लक्षण और खतरों पर ध्यान केंद्रित करें।”उन्होंने आगे कहा, “अधिकतर फंगल संक्रमण कमजोर इम्यूनिटी के कारण होते हैं। ऐसे में हमें इम्यूनिटी बढ़ाकर इनसे लड़ने की क्षमता विकसित करनी होगी।”
जानकारी
आमतौर पर सरीसृपों में मिलता है येलो फंगस- डॉ त्यागी
दिल्ली-NCR में कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ डॉ बीपी त्यागी ने कहा कि गाजियाबाद में एक व्यक्ति में ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस का पता चला है। उनका दावा है कि येलो फंगस छिपकली जैसे सरीसृपों में मिलता है। यह अपनी तरह का पहला मामला है।
अध्ययन
येलो फंगस पर किया जाएगा अध्ययन- डॉ पांडा
डॉ पांडा ने कहा कि गाजियाबाद में मरीज के मिला येलो फंगस सरीसृपों वाला ही है, इसकी जांच के लिए अध्ययन करने की जरूरत है। इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।इसी तरह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डॉ गिरिधर आर बाबू ने कहा कि फंगल संक्रमण से जुड़े कारण और खतरों के कारकों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में इनके सामने आने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए।