बुद्धि और चेतना में क्या अंतर हैं? जानिए

बुद्धि और चेतना में जमीन और आसमान का अंतर हैं। पहले बात करते है बुद्धि इस तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को अपने मन और इन्द्रियों को अपने वश में करना होता है। जो व्यक्ति ऐसा कर सकता है वही व्यक्ति बुद्धि के स्तर पर पहुंच सकता है। पढना और सुनना बहुत आसान है पर करना बहुत ही मुश्किल मन को अगर काबू करना है तो अपने आंखो को काबू किजिए क्योंकि मन की 80% शक्ति आंखों में होती है क्योंकि जैसे ही हम इधर उधर देखते हैं वैसे ही हमारे मन में भाव बनने शुरू हो जाते है और शरीर में स्थित इन्द्रियां अपना काम करना शुरू कर देते हैं। जैसे मान लो हमने बहुत तरह के खाने पीने कि चीजें देखी अब देखते ही हमारा मन खाने को करता हैं। और मन करते ही हमारी इन्द्रियां हमें उस और ले जाने कि कोशिश करती है।

क्योंकि जब मन मे भाव पैदा होते ह। तब ऊर्जा बननी शुरू हो जाती है। जैसी ही ऊर्जा बनती है वैसे हमारा रक्त स्त्राव होने लगता है। और उसी रक्त के तेज बहनें से हमारी इन्द्रियों में खिंचाव होने लगता है और हम फिर वैसा ही कार्य करने लगते है और सोचते है ये भगवान कि मर्जी है पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सब कुछ हमारे वजह से होता है। अब ये सब था मन के बारे में और जिसने अपने मन को को काबू कर लिया उसकी इन्द्रियां अपने आप काबू हो जाएगी।

अब आते हैं बुद्धि के स्तर पर पहुंचते ही व्यक्ति अधिक से अधिक कार्य करना शुरू कर देता है। वह समय के साथ चलता है। वे लोग समय की किमत को समझते है। उन्हें ज्लद ही ये ज्ञान हो जाता है। कि अगर अब हम अपने कार्य को नहीं करेगें तो भविष्य में इन से जुड़े सभी विकार एक साथ हमारी हलात खराब कर देगें और उस समय हमें कोई भी नहीं बचा सकता। और इसी कारण ये एक दिन ऊंचे स्तर पर पहुंच जाते हैं। मतलब फिर उसके पास सब कुछ होता है वो चाहे किसी कि भी जिन्दगी बना सकता है और किसी कि भी जिन्दगी बिगाड़ सकता है। और इसी की वजह से इन्हें अंहकार हो जाता है। और इसी अंहकार के कारण ये एक दिन पूरी तरह बर्बाद हो जाते है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है रावण।

अब बात करते है चेतना के बारे चेतन यानी जागरुक ऐसे व्यक्ति अपने पूरे शरीर पर नियंत्रण रखते है वे अपने खून के बहाव को तेज भी कर सकते हैं और उसे रोक भी सकते हैं इसलिए इन पर मौसम का कोई भी असर नहीं होता वो लोग अपनी जिन्दगी जो चाहे वो पा सकते है। इनकी बुद्धि इतनी तेज होती है कि ये सच को झुठ और झुठ को सच बना सकते हैं। चेतना तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को अपने शरीर।, इन्द्रियां, मन और बुद्धि इन सब पर नियंत्रण करना पड़ता है। परंतु ऐसे लोग भी प्राक्रति के चक्कर में फंस जाते है। और बर्बाद हो जाते है।

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