बॉलीवुड गायिका पलक मुच्छल का नाम क्यों गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है? जानिए वजह

एक भारतीय पार्श्व गायिका हैं। वे और उनके छोटे भाई पलाश मुच्छल भारत तथा विदेशो में सार्वजनिक मंच पर गाने गाकर ह्रदय पीड़ित छोटे बच्चो के इलाज के लिए चंदा इकट्ठा करते है। उन्होने मई 2013 तक ढाई करोड रुपयो का चंदा इकट्ठा कर 572 बच्चो की जान बचाने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की है। पलक के इस समाज सेवा में योगदान के लिये उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड् तथा लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में भी दर्ज है।

भारत सरकार और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया है।

सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम

पलक चार साल की उम्र में “कल्याणजी-आनंदजी लिटल स्टार”, जो कि नवोदित गायको का इंदौर शहर में एक समूह था, उसकी सदस्य बनीं।

जब 1999 में भारत का पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध छिड़ा और भारतीय सैनिक अपने देश के लिए प्राणों की आहुति दे रहे थे तब सात साल की पलक ने शहिद सैनिको के परिवारो की मदद हेतु इंदौर शहर के बाज़ारों कि दुकानो की सामने गाने गाकर चंदा जमा करना शुरु किया। उनके इस प्रयास की भारतीय मिडिया में काफी चर्चा हुई। पलक ने उस वक्त पच्चीस हजार रुपयों का चंदा ईकट्ठा किया। उसी साल जब उड़ीसा राज्य चक्रवात के चपेट में आया तब उन्होंने पीड़ितों की सहायता के लिए चंदा ईकट्ठा किया।

जब पलक ने गरीब और असहाय छोटे बच्चो को अपने बदन के कपड़ों से रेलगाडी के डिब्बे साफ करते हुए देखा, तब उन्होंने गरीब बच्चो की मदद करने का मन बनाया।

करीबन उसी वक्त इंदोर के निधी विनय मंदिर शाला के शिक्षको ने अपने छात्र लोकेश की मदद हेतु पलक से संपर्क किया। लोकेश ह्रदय कि बिमारी से पीड़ित था। एक दिन में महज 50 रुपये कमानेवाले लोकेश के पिता बहुत गरीब थे और लोकेश का दिल का ऑपरेशन का 80,000 रुपये खर्चा उठाने में असमर्थ थे।

शिक्षकों ने पलक से अपने गानों के जरीये चंदा जमा करने कि विनंती की। उनका सम्मान करते हुए पलक ने मार्च 2000 में अपने गायिकी सार्वजनिक प्रदर्शनी का आयोजन किया और सड़क के एक ठेले को ही रंगमंच बनाकर अपने गानों से लोगो को लुभाया। एक ही प्रदर्शनी में पलक ने लोकेश के ऑपरेशन के लिए 51,000 रुपयो का चंदा इकट्ठा किया।

पलक के इस प्रयास की टेलेविजन पर काफी चर्चा हुई और बंगलोर के एक डॉक्टर देवी प्रसाद शेट्टी ने लोकेश का ऑपरेशन मुफ्त कराने की पेशकश की। बचे चंदे का सदुपयोग करने हेतु पलक के माता-पिता ने अखबारों में इश्तिहार दिया ताकि लोकेश जैसे किसी बच्चे के दिल के ऑपरेशन हेतु चंदे का ऊपयोग हो सके। 33 बच्चो के पालकों ने पलक के माता-पिता से संपर्क किया।

इसके चलते पलक ने उस साल कई सार्वजनिक प्रदर्शनियों का आयोजन किया और 2.25 लाख रुपयो का चंदा ईकट्ठा किया जो बंगलौर और इंदौर के अस्पतालों में 5 बच्चो के दिल के ऑपरेशन के लिए खर्च किया गया। इस प्रयास में इंदौर के टी चोईथराम अस्पताल ने सहयोग करते हुए ऑपरेशन की फिस घटाकर 80,000 रुपयो से 40,000 रुपये कर दी और एक शल्यचिकित्सक धीरज गांधी नें ऑपरेशन कि फीस न लेने का फैसला किया।

सन 2000 से पलक ने अपने भाई पलाश के साथ चंदा ईकट्ठा करने हेतु देश-विदेश में कई प्रदर्शनियों का आयोजन किया है। अपने अभियान से संजोगता बनाते हुए उन्होंने अपनी प्रदर्शनी का नाम “दिल से दिल तक” रखा है।

पलक अपने प्रदर्शनी में औसतन 40 गाने गाती हैं जिनमे हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्द गाने, भजन तथा ग़ज़ल शामिल होते हैं।

सन 2001 में पलक ने गुज़रात के भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए 10 लाख रुपयो का चंदा ईकट्ठा किया।

पलक की पीड़ित बच्चों के प्रति सहानुभुती सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। जुलाई 2003 पलक ने पाकिस्तान की नागरिक बच्ची, जो ह्रदय रोग से पीड़ित थी और भारत में इलाज के लिए आई थी, उसके लिए वित्तीय सहायता की पेशकश की।

दिसम्बर 2006 तक पलक ने अपने धर्माध संगठन पलक मुच्छल हार्ट फाऊंडेशन के लिए कुल 1.2 करोड़ रुपयों की राशि ईकट्ठा कि थी जिससे 234 बच्चों का ऑपरेशन किया गया। पैसों की कमी की वजह से किसी बच्चे का ऑपरेशन ना रुके, ये सुनिश्चीत करने के लिए पलक मुच्छल हार्ट फाऊंडेशन को दस लाख रुपये ओवरड्राफ्ट की अनुमती दी है।

जून 2009 तक पलक ने कुल 1.71 करोड रुपयों की राशि ईकट्ठा कि थी जिससे 338 बच्चो कि जान बचायी जा सकी।

इस धर्मार्थ संगठन के पैसों से पलक या उनके परिवारवालों को कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं होता। लाभार्थी बच्चों से पलक एक गुड़िया प्रतीक के रूप में स्वीकार करती है।

सन 2011 में पलक ने हिन्दी फिल्मों में पार्श्व गायिका के रूप में कदम रखा मगर उनका ह्रदय रोग पीड़ित बच्चों की मदद करने का अभियान अब भी जारी है। मई 2013 तक उन्होने पलक मुच्छल हार्ट फाऊंडेशन के लिए तकरीबन ढाई करोड़ रुपयों की राशि जमा की थी जिससे 572 बच्चो का ऑपरेशन हो सका और उनकी जान बचाई जा सकी। 621 ह्रदय रोग पीड़ित बच्चे अब भी उनकी इंतजार सूची में है जिनकी मदद के लिए पलक के प्रयास जारी है।

पलक मुच्छल को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (2000), रजत पदक
राष्ट्रीय समन्वय पुरस्कार (2001)
राजीव गांधी पुरस्कार (2005)
पोगो टीवी चेनैल “कैंडीमैन कुछ भी करेगा” पुरस्कार (2005)
सोनी टीवी कैडबरी बॉर्नव्हीटा कॉन्फीडन्स च्यम्पीयनशीप (2006)
गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तथा लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स
युवा ओजस्वीनी अलंकारन पुरस्कार (2006)
आंतरराष्ट्रीय रोटरी क्लब द्वारा पॉल हँरीस फेलोशिप
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और महाराष्ट्र बोर्ड द्वारा सातवी कक्षा कि नैतीक शास्त्र पाठ्यक्रम में पलक के बारे में लेख
10 वा वार्षिक केल्वीनेटर ग्रेट वुमन अचिवर 2011 पुरस्कार
विरंगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला समिती ग्वालियर द्वारा विरंगना (2011) पुरस्कार
कोका कोला टीवी विज्ञापन “हाँ मैं क्रेज़ी हूँ” का हिस्सा (2012)
19 वा सुर आराधना पुरस्कार (2012)
“लापता” (एक था टायगर) गाने के लिए 19वा लायन्स गोल्ड पुरस्कार (2012 )

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