भगवान शिवजी ने सर्वेश्वर अवतार क्यों लिया था? जानिए वजह

भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की कथा तो हम सभी जानते हैं की, ब्रम्हा द्वारा प्राप्त वरदान के फलस्वरूप हिरण्यकश्यप को ना कोई मनुष्य मार सकता था, न जानवर, ना धरती पर वो मर सकता था, न नभ में, ना अस्त्र से ना शस्त्र से, ना ही रात में ना ही दिन में और न ही महल के बाहर ना अंदर।

हिरण्यकश्यप जैसे अधर्मी को मारने और भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए,और उसकी पुकार पर विष्णु भगवान नृसिह अवतार लेकर स्तंभ में से प्रकट हुए। उन्होंने हिरण्यकश्यप को उठाया महल की चौखट पर लाकर अपनी गोद में लिटा लिया और अपने नाखूनों से उसका सीना चीर दिया।

लेकिन हिरण्यकश्यप का अंत करने के बावजूद उनका क्रोध शांत नही हुआ। जिससे भू लोक, स्वर्ग लोक और पाताल लोक कांपने लगा। प्रभु के क्रोध को शांत करने की शक्ति सिर्फ महाकाल भगवान शिव के पास ही हो सकती थी।

सारे देवगन शिव जी की स्तुति करने लगे। तब जाकर भक्तो की पुकार पर शिव उन्हें शांत करने गए। लेकिन नृसिंह भगवान का क्रोध शांत करने मे वो भी असफल हुए।

फिर त्रिकाल दर्शी शिव जी ने मानव, चील और सिंह के शरीर वाले भगवान सर्वेश्वर का अवतार लिया ।

नृसिंह और सर्वेश्वर अवतारों में पूरे 18 दिनों तक युद्ध चला। अंततः भगवान नरसिंह सर्वेश्वर अवतार के आगे कमजोर पड़ने लगे, और हार स्वीकार कर अपने क्रोध को भी शांत किया। सभी देवगन विष्णु स्तुति किए तब जाकर भगवान नरसिंह श्री हरि में लीन हो गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *