भारतीय रेलवे में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन की दूरी कितनी होती है?

भारतीय रेलवे में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन की दूरी का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। फिर भी रास्ते में पड़ने वाले छोटे स्टेशन, जिन्हें रेलवे की भाषा में रोड साइड स्टेशन कहते हैं, 8 से 10 किलोमीटर के एवरेज में होते हैं। यह दूरी कभी-कभी 1 किलोमीटर भी हो सकती है तो कभी-कभी 18–20 किलोमीटर भी हो सकती है (नई रेलवे लाइनों पर)।

इन रोड साइड स्टेशनों की आवश्यकता :—

  • रेलवे को अपनी रेलवे लाइन को छोटे-छोटे ब्लाॅक सैक्शन में बाँटना होता है, क्यों ? यह आगे पढ़िए।
  • इन ब्लाॅक सैक्शन की जरूरत इसलिए है कि रेलों का परिचालन ‘एब्सोल्यूट ब्लाॅक सिस्टम’ पर किया जाता है। इस सिस्टम में एक ब्लाॅक सैक्शन में एक बार में एक ही गाड़ी चलती है।
  • ये ब्लाॅक सैक्शन 1950–80 के दौर में 12–14 किलोमीटर के होते थे। आजकल छोटे ब्लाॅक सैक्शन बनाए जा रहे हैं ताकि एक दिए हुए सैक्शन में एक समय में ज्यादा गाड़ियाँ चल सकें। इसे सैक्शन कैपेसिटी बढ़ाना कहते हैं।

रोड साइड स्टेशन की जगह का निर्धारण :—

  • जब भी कोई नई रेलवे लाइन डाली जाती है तो रेलवे स्टेशन की लोकेशन को आस-पास के छोटे कस्बे या गाँव को ध्यान में रखकर तय की जाती है और रेलवे स्टेशन का नाम भी पास के गाँँव के नाम पर ही रख दिया जाता है।
  • रेलवे स्टेशन की लोकेशन के इस निर्धारण में 1–2 किलोमीटर का समझौता कर लिया जाता है।

कुछ बहुत छोटे ब्लाॅक सैक्शन या ब्लाॅक स्टेशन के बीच की दूरी (केवल उदाहरण के लिए) :—

  • निशातपुरा से भोपाल जंक्शन – 1 से 1.5 किलोमीटर।
  • नागपुर से अजनी – 3 किलोमीटर के लगभग।
  • फरीदाबाद से फरीदाबाद न्यूटाउन – 3–4 किलोमीटर।

लेकिन औसत तौर पर रेलवे स्टेशन 8–10–12 किलोमीटर की दूरी पर रखे जाते हैं।

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