मगरमच्छ पानी में सांस कैसे लेता है? जानिए

मगरमच्छ की लगभग 23 स्पीशीज मौजूद हैं। 240 मिलियन सालों से मगरमच्छ धरती पर मौजूद है। इनका डायनासोर से करीबी सम्बन्ध माना जाता है। मगरमच्छ दो तरह के होते हैं- मीठे पानी में रहने वाले और खारे पानी में रहने वाले मगरमच्छ। ज्यादातर मगरमच्छ ताजा पानी के नदी और झीलों में ही रहा करते हैं।

मगरमच्छ के सुनने की क्षमता इतनी तेज होती है कि वो अपने बच्चों को अंडे में रोता हुआ भी सुन सकता है।

मगरमच्छ की आँखें भी बहुत तेज होती है तभी तो अपने शिकार को रात के अँधेरे में और पानी के अंदर देख पाना इनके लिए बहुत आसान होता है।

मगरमच्छ बिना भोजन के लम्बे समय तक जीवित रह सकता है। ये अपने भोजन को चबाया नहीं करते हैं बल्कि बड़ी मात्रा में टुकड़े काटकर निगल जाते हैं।

मगरमच्छ के दांत और जबड़े बहुत मजबूत होते हैं जिनकी मदद से अपने शिकार को ये चुटकियों में पचा जाते हैं।

खाते समय मगरमच्छ की आँखों में आंसू आते हैं क्योंकि खाते समय उनके मुँह में हवा भर जाती है जो अश्रु ग्रंथि के संपर्क में आते ही आंसुओं के रूप में बाहर निकलती है।

मगरमच्छ अक्सर अपना मुँह खोलकर रहते हैं क्योंकि उनमें स्वेट (पसीना) ग्लैंड्स नहीं होती है इसलिए वो अपना मुँह खुला रखकर अपने शरीर को ठण्डा करते हैं।

मगरमच्छ पानी के अंदर सांस नहीं ले सकते हैं। मगरमच्छ पानी में सांस लम्बे समय तक रोके रखने की क्षमता रखते हैं। ये क्षमता 15 मिनट से 1-2 घंटे तक हो सकती है।

ज्यादातर मगरमच्छ 50-60 साल तक जिन्दा रहते हैं जबकि कुछ मगरमच्छ 80 साल तक भी जीवित रहते हैं।

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