महाभारत के अनुसार कर्ण का असली माँ कौन था?

कुंती के युवा अवस्था के समय एक बार दुर्वाशा ऋषि कुंती भोज पधारे थे। कुंती ने बड़ी सहनशीलता से उनकी सेवा की थी। दुर्वाशा ऋषि से सभी लोग डरते थे। लेकिन कुंती ने बिना किसी डर के दुर्वाशा ऋषि की खूब सेवा की थी।

जाते समय दुर्वाशा ऋषि ने प्रसन्न होकर कुंती को एक दिव्य मंत्र दिया और कहा – कन्या यह मंत्र पढ़कर तुम जिस किसी भी देवता का ध्यान करोगी उसी देवता के अंश से तुम्हे उसी देवता समान तेजस्वी पुत्र होगा। और इस तरह से कुंती को ऋषि दुर्वाशा का वरदान प्राप्त हुआ, जिसे कुंती मंत्र द्वारा श्रवण करती थी

1 दिन की बात है ऋषि दुर्वासा जी के मंत्रों का उपयोग कुंती माता सुबह सुबह की सूर्य देव को प्रकट करने के लिए सूर्य देव के आने के बाद सूर्य देव का अंश माता कुंती को स्वीकार करना पड़ा और इस तरह से करने की पैदाइश हुई कर्ण के पिता का नाम सूर्य देव और करने के बाद मतलब भाई का नाम माना जाए तो यमराज भी कर्न को पैदा करने वाली कुंती थी जो कि अर्जुन की मां थी और करण कुमारिया व स्थान पैदा हुआ था माता कुंती के गर्भ से पैदा करने वाली माता कुंती और कर्ण को पालने पहुंचने वाली राधा जो की जात के थे

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