महाभारत में सबसे बड़ा दानवीर कौन था? जानिए उनका नाम

दानवीरों में महाभारत के समय में हुए ‘महारथी कर्ण’ का नाम सबसे पहले आता है जिन्होंने हमेशा उनके पास जो भी आया उसकी जरूरत के अनुसार दान दिया। कहा जाता है कि अर्जुन के दिल में भी यह बात आई कि मेरे बड़े भाई युधिष्ठिर तो सत्यवादी के साथ-साथ दानवीर भी हैं फिर ‘कर्ण’ को मेरे भाई युधिष्ठिर से बड़ा दानवीर क्यों मानते हैं?

तब भगवान कृष्ण ने उनकी शंका दूर करने के लिए, एक दिन बारिश के समय में ब्राह्मण का भेष बनाया एवं दोनों युधिष्ठिर के पास जा पहुंचे एवं उनसे कहा कि हमें हवन के लिए सूखी चंदन की लकड़ी चाहिए। युधिष्ठिर जी ने कहा कि ब्राह्मण देवता बारिश की वजह से सभी लकडिय़ां गीली हो गई हैं इसलिए मैं सूखी चंदन की लकड़ी देने में असमर्थ हूं। फिर दोनों ‘कर्ण’ के पास गए। ‘

कर्ण’ ने उनसे कहा, पहले आप भोजन कर लीजिए, सूखी चंदन की लकड़ी की व्यवस्था हो जाएगी। भोजन करने के बाद ‘कर्ण’ ने अपने मकान में लगे दरवाजे एवं अपने पलंग को तुड़वाकर उनको लकड़ी दे दी जोकि चंदन की लकड़ी के थे,

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एवं देने से पहले अपने तरकश से बाण छोड़ कर गंगाजी का पानी बहाकर पूरी लकड़ी को धुलवाया और फिर तरकश से दूसरा बाण छोड़कर गर्मी पैदा करके सभी लकडिय़ों को सुखाकर भी दिया। तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि अब आप देख सकते हैं कि श्रेष्ठ दानवीर कौन है।

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