महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी किस गलती को ना करें ? जानिए

भगवान शिव वैसे तो भोले भंडारी हैं और मात्र एक लोटा जल से प्रसन्न हो जाते हैं, और उन्हें पूजा के लिए कोई भौतिक वस्तुओं की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन फिर भी कुछ बातें हैं, जिनका ध्यान उनकी पूजा के समय रखा जाना चाहिए। कुछ वस्तुएं ऐसे हैं जो भगवान शिव की पूजा में वर्जित हैं। इन बातों का ध्यान रखेंगे तो शिवजी की कृपा पाने का मार्ग सहजता से खुल जाएगा।

भगवान शिव को लोग सर्वाधिक जल ही अर्पित करते हैं। जल अर्पित करने के लिए तांबा, पीतल, कांसा, चांदी या अष्टधातु के लोटे का प्रयोग करना चाहिए। लोहे या स्टील के बर्तन से शिवजी पर कभी जल न चढ़ाएं।

इसी तरह यदि शिवलिंग पर दूध अर्पित कर रहे हैं तो उसके लिए चांदी, पीतल का लोटा ही प्रयुक्त करना चाहिए। शिवजी पर भूल से भी दूध तांबे के कलश से नहीं चढ़ाना चाहिए।

सिंदूर और कुमकुम शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। अनेक शास्त्रों में शिवजी के लिए हल्दी भी वर्जित बताई गई है। शिवजी की पूजा में अबीर, गुलाल, अक्षत का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकिसिंदूर और कुमकुम सौभाग्य के प्रतीक हैं और शिव श्मशान निवासी वैरागी हैं।

शिवजी को चावल के टुकड़े अर्पित नहीं किए जाते हैं। उन्हें अक्षत अर्थात् पूर्ण चावल अर्पित किए जाते हैं।

शिवजी की पूजा में तुलसी नहीं रखी जाती है। शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित किया जाता है। इसी तरह भगवान विष्णु को बिल्वपत्र नहीं चढ़ाया जाता है, उन्हें तुलसी चढ़ाई जाती है।

शिवजी की पूजा में शंख भी वर्जित है। शंख का स्पर्श शिवलिंग से कभी नहीं होना चाहिए और ना ही शंख से शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है।

शिवजी को केतकी, केवड़े के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते हैं।

शिवजी को स्नान करवाते समय कभी भी उन्हें अंगूठे से नहीं रगड़ना चाहिए।

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