महाशिवरात्रि से जुड़ी कोई पौराणिक कथा क्या है जानिए

शिवभक्तों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत खास माना जाता है। इस दिन मुख्य तौर पर शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। इस दिन भोलेशंकर ने माता पार्वती से विवाह किया था। भगवान शिव देवों के देव यानि महादेव कहलाए जाते हैं और उन्‍हें ही सृष्टि का आदि कारण माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार उन्‍हीं से ब्रह्मा, विष्‍णु समेत समस्‍त सृष्टि का उद्भव हुआ है। ऐसा माना जाता है कि उनका न तो कोई आरंभ है और न ही अंत। इसी कारण से वे अवतार न होते हुए साक्षात ईश्‍वर माने जाते हैं। तो चलिए आपके प्रश्न के अनुसार शिव की कथा के बारे में बताते हैं।

वैसे तो हिन्दू धर्म में बहुत सारी शिव कथाएं प्रचलित है, मगर जो कथा आज मैं आपको बताने जा रही हूँ वह महाशिवरात्रि के लिए प्रचलित है। हमेशा शिवरात्रि वाले दिन इन कथाओं को जरूर पढ़ना चाहिए। आध्‍यात्‍मकि गुरुओं का मानना है कि महाशिवरात्रि एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्‍य को उसके आध्‍यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। हिंदुओं में इसे एक उत्‍सव मनाया जाता है, जो पूरी रात चलता है। यही वजह है कि इसे शिव की महारात्रि भी कहा जाता है। इस मौके पर आप भी अपने दोस्तों और परिजनों के साथ महाशिवरात्रि की कथा और महाशिवरात्रि कोट्स इन हिंदी शेयर करें।

महशिवरात्रि की प्रचलित कथा

बहुत समय पहले एक गांव में एक शिकारी रहता था। वह शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था। एक बार उसने किसी कारण से साहूकार से ऋण लिया, लेकिन वह ऋण नहीं चुका पाया। तब सेठ ने उसे शिव मंदिर में बंदी बना लिया। संयोग से उसके अगले दिन शिवरात्रि थी। रात्रि में शिकारी ने मंदिर में शिवरात्रि के कीर्तन और कथा ध्यानपूर्वक सुनी। उसके बाद शिकारी ने अगले दिन ऋण चुकाने का वादा किया। उसकी बात मानकर सेठ ने उसे कैद से मुक्त कर दिया।

सेठ का ऋण चुकाने के लिए वह शिकार की तलाश में जंगल गया और एक तालाब किनारे एक पेड़ पर शिकार करने के लिए मचान बनाने लगा। जिस पेड़ पर शिकारी ने मचान बनाया वह बेल का वृक्ष था, लेकिन शिकारी को यह बात ज्ञात नहीं थी। उसी वृक्ष के नीचे शिवलिंग भी बना था। शिकारी उस वृक्ष पर बैठकर शिकार की राह देखने लगा। जिससे शिवलिंग पर बेल के पत्ते गिरते रहे। पूरा दिन बीत जाने पर भी कोई पशु उधर से नहीं गुजरा। वह भूखा प्यासा बैठा रहा, इसी तरह से अनजाने में ही शिकारी से महाशिरात्रि का व्रत हो गया। यह कथा आप कई जगह बार बार सुनने को मिलेगी।

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