मेरठ के स्वास्थ्यकर्मी की कोरोना से मौत के बाद वायरल वीडियो से उठे सिस्टम पर सवाल

मैं अंशुल एलटी (लैब टेक्नीशियन) परसों से यहां एडमिट हूं और मुझे यहां पर कोई उपचार-ट्रीटमेंट सही से नहीं दिया जा रहा है सुबह से. साँस लेने में मुझे इतनी ज़्यादा प्रॉब्लम है, जो भी आता है पल्स रेट चेक करके चला जाता है. मैं कहता हूं इंजेक्शन वग़ैरह मेरे लगा दो पर कोई नहीं लगा रहा है. यहां का स्टाफ़ स्ट्राइक पर है. आम जनता के साथ क्या होगा, जब एक हेल्थ वर्कर के साथ यह हो रहा है. आप प्लीज़ सोचिए.”

अपने वीडियो में अंशुल मेरठ मेडिकल कॉलेज में ख़ुद के साथ इलाज में लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. लगभग 38 सेकंड के इस वायरल वीडियो में दिखाई देने वाले लैब टैक्नीशियन की कोविड-19 संक्रमण से मौत हो गई है. यह वीडियो पिछले कुछ दिनों से चर्चा में था, लेकिन उनकी मौत के बाद वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है.

क्या है मामला

अंशुल उपाध्याय के बड़े भाई अमित उपाध्याय ने रोते हुए बताया, “अंशुल मेरठ की एक पीएचसी पर संविदा पर एलटी (लैब टेक्नीशियन) के पद पर तैनात थे. तबीयत ख़राब हुई तो मैंने उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया. वहां पर्याप्त इलाज नहीं मिला और उनकी मौत हो गई.”

अस्पताल की व्यवस्था को लेकर अमित काफ़ी नाराज़ दिखे. उन्होंने कहा, “जब मैंने अंशुल को भर्ती कराया तो उसे हल्की-फुल्की ऑक्सीजन दी गई. इसके अगले ही दिन मेरे भाई ने अपने दोस्तों के ग्रुप पर वीडियो वायरल कर मेडिकल कॉलेज की लापरवाही के बारे में बताया.”

हालांकि मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ज्ञानेंद्र सिंह दावा करते हैं कि अंशुल के इलाज में किसी तरह की चूक नहीं हुई है.

उन्होंने बताया, “मरीज़ आइसोलेशन में भी गया था. दवाइयां भी दी गईं थी. रेमडेसिवीर की डोज़ भी दी गई थी. मैं कोविड वार्ड का निरीक्षण भी करता रहा हूँ. ये आरोप क्यों लगाया गया है, मुझे नहीं मालूम है. अंशुल को वेंटिलेटर पर भी डाला गया था. उसका इलाज पूरा किया गया है.”

अंशुल को इलाज के दौरान रेमडेसिवीर की डोज़ दी गई थी, जिसकी पुष्टि करते हुए उनके भाई अमित ने कहा, “मेरे भाई को रेमडेसिवीर की डोज़ दी गई तो मुझे लगा कि अब मेरा भाई बच जाएगा, लेकिन इस डोज़ के बाद उसे कुछ नहीं दिया गया और उसकी मौत हो गई.”

ऑक्सीजन सिलेंडर्स (फाइल फोटो)
अमित यह भी दावा करते हैं कि इलाज ठीक नहीं होने के कारण उनका भाई भागकर घर आ गया था, जिसके बाद वे उसे फिर से लेकर अस्पताल गए, जहां कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि अगर ये ग़ायब रहता तो इसकी एफ़आईआर लिखा दी जाती.

अंशुल के इलाज के दौरान घर चले जाने के आरोप के बाद ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं, “अंशुल घर नहीं गया था, ये ग़लत बात है.”

अंशुल की मौत की सूचना कैसे मिली, ये पूछे जाने पर अमित कहते हैं, “अंशुल की मौत की ख़बर 21 अप्रैल की सुबह मिली, इससे पहले उसकी तबीयत कितनी बिगड़ी, इस बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई. मेरा भाई तो चला गया, अब मैं क्या करूं. मेरे बूढ़े मां-बाप भी भाई की मौत पर बुरी तरह तड़प रहे हैं.”

अंशुल मेरठ में जागृति विहार में अपने माँ-बाप और तीन भाइयों के साथ रहते थे. उनकी मौत के बाद परिवार में अब दो बड़े भाई और बचे हैं. अमित के अनुसार अंशुल की शादी क़रीब डेढ़ वर्ष पूर्व हुई थी. उनके दो जुड़वां बच्चे भी हैं. उनके पिता रोडवेज़ से रिटायर्ड हैं.

संविदाकर्मियों का प्रदर्शन
अंशुल की मौत के बाद मेरठ के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर संविदा पर तैनात कर्मचारियों में काफ़ी रोष दिख रहा है. उन्होंने कलेक्ट्रेट पहुँचकर विरोध प्रदर्शन करके अपनी नाराज़गी जताई.

एक स्वास्थ्यकर्मी रेशमा ने संविदा पर तैनातकर्मियों की मुश्किलों के बारे में कहा, “मेडिकल कॉलेज में ये उस अंशुल के साथ लापरवाही हुई है जो दिन-रात कोविड संक्रमितों के लिए काम करता था. हमारी फ़ीलिंग्स की किसी को कोई चिंता नहीं है. हम दस हज़ार रुपए में इतनी मेहनत करते हैं. अस्पताल आने का तो मालूम है, लेकिन वापस कब जाएंगे इसका पता नहीं होता है.

उनका कहना है, “अंशुल तो अब रहा नहीं. प्रशासन को उसके परिवार की मदद करनी चाहिए. साथ ही अन्य संविदाकर्मियों के कार्यों पर भी गंभीरता से विचार किया जाए.”

क्या कह रहा है प्रशासन
अंशुल की मौत और वीडियो वायरल होने के बाद संविदाकर्मी हेल्थ वर्कर्स में काफ़ी नाराज़गी है. मेरठ के सिटी मजिस्ट्रेट सत्येंद्र कुमार ने उनसे बात करके अंशुल के परिवार की मदद का भरोसा दिलाया है.

सत्येंद्र कुमार ने बताया, “अंशुल के मामले में जाँच जारी है. जो भी दोषी होगा, उसके ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई की जाएगी. अंशुल को कोविड वॉरियर की तरह मानकर उनकी पत्नी को कहीं नौकरी दिलाने की कोशिश होगी. अन्य निर्देशों का भी पालन होगा.”

हालांकि सत्येंद्र कुमार मौखिक भरोसा दे रहे हैं, अंशुल की पत्नी को नौकरी देने की प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर शुरू करना अभी बाक़ी है.

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