मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग में क्या अंतर है? जानिए
किसी भी खेल में मैच के परिणाम को ही पहले से तय कर लेना मैच फिक्सिंग कहलाता है। जीत के अंतर को भी गलत तरीके से तय करना जैसे कोई फुटबॉल टीम अपना मैच 2 गोल के अंतर से जीतेगी या उससे ज्यादा, यह भी मैच फिक्सिंग है।
स्पॉट फिक्सिंग खेल के एक छोटे पहलू को पहले से तय करना है। इससे मैच का अंतिम परिणाम प्रभावित हो यह आवश्यक नहीं।
जैसे फुटबॉल में कौन सी टीम को पहला कार्नर मिलेगा। पहला पीला कार्ड किस टीम को दिखाया जाएगा इत्यादि। क्रिकेट में यह पहले से तय किया जा सकता है कि रविन्द्र जडेजा पहले गेंदबाजी के लिए आएंगे या अश्विन। पांचवे ओवर की तीसरी गेंद नो बॉल होगी कि नहीं।
क्रिकेट और फुटबॉल जैसे टीम गेम में जहां मैच फिक्सिंग के लिए ज्यादा खिलाड़ियों की आवश्यकता पड़ेगी वहीं स्पॉट फिक्सिंग किसी एक खिलाड़ी अथवा कप्तान के सहयोग से की जा सकती है। इंटरनेट के विस्तार और ऑनलाइन सट्टेबाजी होने से स्पॉट फिक्सिंग खेल में बढ़ती ही जा रही है।
फिक्सिंग कौन करवाता है?
भारत मे सट्टेबाजी अवैध है (शायद घोड़ों की रेस छोड़कर) पर कई देशों में यह वैध है। सट्टा लगवाने वाले, ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए खिलाड़ियों के मिलीभगत से मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग कराते हैं। मोहम्मद आसिफ और आमिर ने कप्तान सलमान बट्ट की मदद से स्पॉट फिक्सिंग की थी।
उन्होंने कुछ तय गेंदें ‘नो बॉल’ जान बूझ कर फेंकी थी। ‘नो बॉल’ बहुत कम फेंके जाते हैं ऐसे में सिटोरिये अगर इस बात पर सट्टा का भाव खोलते हैं कि किसी गेंदबाज के दूसरे ओवर की तीसरी बॉल नो बॉल होगी कि नहीं। अगर नो बॉल होने पर एक रुपये पर पचास का भाव है और न होने पर एक रुपये पर दो रुपये का भाव है तब भी ज्यादा पैसे नो बॉल नहीं होने पर ही लगेंगे। अगर 100 -200 करोड़ नो बॉल नहीं होने पर लग गए और नो बॉल होने पे 1-2 लाख तब भी सिटोरियों को ‘नो बॉल’ होने पर बड़ा मुनाफा होगा। इसमें से कुछ राशि फिक्सिंग में लिप्त खिलाड़ी को मिलना तय रहता है। किसी भी खेल में फिक्सिंग सिटोरिये ही ज्यादा मुनाफा के लिए करवाते हैं।
भारतीय क्रिकेटर श्रीसंत पर अलग तरह की फिक्सिंग के आरोप है। वह सिटोरिये को कमर में तौलिया लगाकर संकेत देते थे कि वह यह अपना अगला ओवर फिक्स करने वाले हैं ताकि सिटोरिये ज्यादा से ज्यादा सट्टा लगवा सकें। सट्टा इस बात पर लग रहा था की श्रीसंत ओवर में 14 रन से कम देंगे या ज्यादा। ज्यादा पैसे 14 से कम रन पर लगे और श्रीसंत ने 14 से ज्यादा रन बनने दिए। सिटोरियों को भारी मुनाफा हुआ।
फिक्सिंग से खेल को नुकसान होता है। इससे दर्शकों का खेल पर से विश्वास उठता है और खेल की लोकप्रियता में कमी आती है।