यह शख्स कभी भटकता था काम की तलाश में, आज है करोड़ों का मालिक
आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कभी अपनी रोजी रोटी के लिए तांगा गाड़ी चलाया करता था। लेकिन उनकी मेहनत और लगन से किस्मत का पहिया ऐसा घुमा कि आज उनकों मसालों के शहंशाह के नाम से जाना जाता है। जी हां आज हम ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके मसालों का साम्राज्य भारत में ही नहीं बल्कि के कई हिस्सों में फैला हुआ है।
हम जिस व्यक्ति के बारे में बात कर रहें हैं, वो और कोई नहीं बल्कि एम.डी.एच. मसालों के मालिक धर्मपाल गुलाटी है। वैसे तो ज्यादातर शिक्षित लोग ही ऐसे मुकाम को हासिल कर पाते है लेकिन धर्मपाल गुलाटी उनमें से नहीं है। उन्होंने मात्र 5वीं तक की पढ़ाई के बाद शिक्षा का अलविदा कह दिया था। इनके शुरूआती दिन अच्छे नहीं थे, इनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था।
इनके जीवन की कहानी सबको प्रभावित करने वाली हो सकती है क्योंकि इनके जीवन में इतने संघर्ष होने के बाद भी ये इस मुकाम का हासिल करने में कामयाब रहे हैं। इनके जन्म 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ। इनके पिता भी एक सोशल ऑर्गेनाइजेशन में काम किया करते थे। जिसमें ही उन्होंने एक मसाला कम्पनी का सेटअप किया हुआ था।
लेकिन समय बीता और भारत के आजाद होने के समय आ गया जिसमें धर्मपाल गुलाटी ने भी भाग लिया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और उनका परिवार 7 सितम्बर 1947 को भारत में आकर बस गया। बंटवारे के कारण उनका मसालों का खड़ा किया हुआ कारोबार पुरी तरह से ठप हो चुका था। इसके बाद धर्मपाल गुलाटी दिल्ली दिल्ली आये और काम के लिए काफी संघर्ष किया लेकिन काम नहीं मिल पाया।
इसके बाद वो हार कर लोगों से पैसे उधार लेकर एक तांगा लाये और परिवार का पालन—पोषण करने लगे। लेकिन इससे वो इतना नहीं कमा पा रहे थे कि पूरे परिवार का खर्चा अच्छे से चला सके। इसी कारण उन्होंने पिता का बिजनेस ही शुरू करने की सोची और सन् 1948 में करोल बाग में ही एक छोटी सी झोपड़ी में मिर्च मसाले का काम शुरू कर दिया। पहले से इस काम का अनुभव होने के कारण यह करोबार उनका चल पड़ा और धीरे—धीरे उनकी ब्रांच एक से दो और दो से बढ़ती गई। और आज ये एम.डी.एच. मसाला कंपनी जिसका आज करोड़ो का टर्नओवर है के मालिक है।
यह उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज वो इस मुकाम पर है। तभी तो कहा जाता है मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती उनकों इसका फल एक ना एक दिन जरूर मिलता है। भारत सरकार द्वारा इनकों गत वर्ष 2019 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।