यह है मानव इतिहास की सबसे सख्त से सख्त सजाएं
अगर इतिहास के पन्ने पलटें तो आप ऐसी-ऐसी सजाओं से रू-ब-रू होंगे, जिनके बारे में महज पढ़कर ही आपकी रूह कांप उठेगी, रोंगटे खड़े हो जायेंगे।
जिंदा दफनाना
यूरोपीय देशों में 15वीं सदी में यह सजा सबसे ज्यादा आम थी। इसमें अपराधी को एक कफन में जिंदा बंद कर दिया जाता और कफन गुफा में या जमीन के अंदर गाड़ दी जाती।
नुकीले खंभे में बांध कर मौत
15वीं सदी में रोमानिया में अपराधियों को नुकीले खंभे से बांध दिया जाता था। फिर धीरे-धीरे इंसान नीचे आता था और खंभे की नोक उसके शरीर में घुसती चली जाती थी। इसमें इंसान को मरने में 3 से 4 दिन लगते थे। एक बार तो सामूहिक सजा के दौरान 20 हजार लोगों ने वहीं बैठकर दावतें उड़ायी थीं।
ब्रेज़न/सिसिलियन बुल
मध्यकाल में ग्रीस में एक लोहे व ब्रास का बैल बनाया जाता। अपराधी को उस बैल के मुंह के रास्ते से उस बर्तन में डाल दिया जाता था और फिर नीचे से आग लगा दी जाती थी। ठीक वैसे ही जैसे आप चिकन को प्रेशर-कुकर में पका देते हैं, वैसे ही उस लोहे के बैल में इंसान भी रोस्ट हो जाता था।
मधुमक्खियों/कीड़ों से कटवाना
एक टब में इंसान को बांध दिया जाता था, उसके शरीर पर दूध और शहद का लेप लगा कर छोड़ देते थे। फिर मधुमक्खियों और छोड़ दिया जाता था। साथ ही कई प्रकार के कीड़ों को टब में डाल दिया जाता था, जो धीरे-धीरे जिंदा इंसान को खा जाते थे। इसमें उस इंसान को मरने में 5 से 10 दिन तक लगते थे।
दो दांत वाले फॉर्क
इंग्लैंड में अपराधी की गर्दन पर दोनों ओर दांत वाले फॉर्क को फंसा दिया जाता था। जितनी बार वह गर्दन नीचे करने की कोशिश करता, उतनी बार ऊपर का भाग गर्दन में घुसता और नीचे का भाग सीने में। न खा पाता न सो पाता और देखते ही देखते उसकी मौत हो जाती।
मौत के चूहे
15वीं सदी में रोम में एक बक्से में इंसान को जिंदा बंद कर दिया जाता और उसमें भूखे चूहों को छोड़ दिया जाता। चूहे उस इंसान के शरीर को कुतर-कुतर कर खा जाते। इंसान चिल्लाता रहता और चूहे उसे खाते रहते।
तारकोल, गर्म तेल डाल कर जलाना
1542 के आस-पास ये सजा इंग्लैंड में दी जाती थी। दोषी पाये जाने पर अपराधी को एक बेंच पर लिटा दिया जाता और फिर उसकी नाभी पर गर्म तेल, गर्म तारकोल आदि डाला जाता। कई बार तो गर्म तेल सिर के ऊपर से डाल कर नहलाया जाता।
जुडास क्रेडल
मध्य काल में जुडास क्रेडल का प्रयोग मौत की सजा में किया जाता था। यक एक स्टूल होता है, जिसके शीर्ष पर नोक होती है। इंसान को इस स्टूल के ऊपर लटका दिया जाता और धीरे-धीरे नीचे लाया जाता। पुरुष है तो उसके गुदा में और महिला है तो उसकी योनि में उस नोक को घुसेड़ दिया जाता। तब तक ऐसा किया जाता था, जब तक वो मर नहीं जाता। इस प्रक्रिया में इंसान को मरने में 10 घंटे से 10 दिन तक लगते थे।
रैक टॉर्चर
लंदन में एक रैक टॉर्चर टावर पर सेट कर दिया जाता था। उस रैक से इंसान के शरीर के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग जगह बांध दिया जाता था और ऊंचाई पर लटका दिया जाता था। रैक को तेजी से तब-तक घुमाया जाता था, जब तक इंसान की हड्डियां टूट नहीं जातीं। और फिर धीरे-धीरे इंसान के टुकड़े होने लगते। इसमें इंसान के पैर, हाथ, कंधे, सिर, आदि सब-अलग-अलग टुकड़ों में कट जाते।
पिंजड़े में बंद कर
मध्य काल में सजा के तौर पर इंसान को नग्न कर एक पिंजड़े में बंद कर पेड़ से लटका दिया जाता। जिंदा इंसान को चील-कौवे, गिद्द, आदि नोंच-नोंच कर खा जाते।
गुइलोटीन
समें एक इंसान को एक तख्ते पर लिटा दिया जाता था और ऊपर से एक ब्लेड गिरता। एक झटके में उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था। कहा जाता है कि इसमें मरने वाले को तो कम दर्द होता था, लेकिन देखने वाले की रूह कांप जाती थी।
रैक किलिंग
इसमें इंसान को एक रैक पर लिटा दिया जाता और उसके दोनों हाथ-पैर अलग-अलग रस्सियों से बांध दिये जाते। फिर रस्सी को तब तक खींचा जाता, जबतक उसके हाथ-पैर पूरी तरह अलग नहीं हो जाते।