रामायण और महाभारत के कितने योद्धा भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र को उठा सकते हैं?
सुदर्शन चक्र का इतिहास तो बहुत पुराना है जब मधु और कैटभ का वध करने हेतु भगवान विष्णु ने महादेव की तपस्या की तब भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति की और उसे नारायण को दिया। तब से ये महान आयुध भगवान विष्णु का अभिन्न अंग है। इसकी एक विशेषता ये भी थी कि बिना श्रीहरि की आज्ञा के कोई भी सुदर्शन को संचालित नही कर सकता था।
सुदर्शन चक्र को भगवान विष्णु के लगभग सभी अवतारों के साथ जोड़ कर देखा जाता है। आपको ऐसी कई तस्वीरें मिल जाएंगी जहाँ वराह, नृसिंह अथवा अन्य अवतारों को सुदर्शन चक्र धारण करते हुए दिखाया जाता है। किंतु अगर लिखित इतिहास की बात की जाए तो नारायण के केवल दो अवतारों के पास सुदर्शन चक्र होने का संदर्भ मिलता है।
परशुराम: ऐसी मान्यता है कि परशुराम जी को सुदर्शन चक्र स्वयं भगवान विष्णु के द्वारा प्राप्त हुआ था। महाभारत और विष्णु पुराण में ऐसा वर्णन है कि जब परशुराम बहुत समय तक युद्ध करने के पश्चात शाल्व का वध नही कर पाए तब उन्होंने सुदर्शन चक्र का संधान किया। तब गीत गाती हुई अप्सराओं ने उन्हें रोक दिया और कहा कि शाल्व की मृत्यु उनके हाथों नही लिखी है। तब परशुराम जी ने कहा कि भविष्य में वे सुदर्शन उसे सौंप देंगे जो उसके योग्य होगा। फिर उन्होंने अपने सारे अस्त्र-शस्त्र नदी में रख दिये और महेंद्र पर्वत पर तपस्या करने चले गए।
श्रीकृष्ण: इनके पास सुदर्शन होने के विषय में तीन कथाएं मिलती है। विष्णु पुराण के अनुसार चूंकि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के सभी 16 कलाओं के साथ उत्पन्न हुए, उनके सभी दिव्यास्त्र श्रीकृष्ण को स्वतः ही प्राप्त हो गए। यही कारण है कि श्रीहरि के अस्त्र जैसे सुदर्शन, कौमोदीकि गदा, नारायणास्त्र और नन्दक तलवार श्रीकृष्ण के पास भी बताई जाती है जबकि श्रीकृष्ण द्वारा इन्हें प्राप्त का कोई वर्णन महाभारत में नही है।
दूसरी कथा के अनुसार जब परशुराम जी श्रीकृष्ण से महर्षि सांदीपनि के आश्रम में मिले तो उन्होंने विष्णुरूपी श्रीकृष्ण को पहचान लिया और सुदर्शन चक्र उन्हें प्रदान किया। इसके अतिरिक्त देवी भागवत में आदिशक्ति द्वारा श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र प्रदान करने का वर्णन आता है।
इन दोनों के अतिरिक्त, भविष्य पुराण में सुदर्शन चक्र को भविष्य में होने वाले भगवान कल्कि का भी अस्त्र बताया गया है। किंतु वो कितना प्रामाणिक है वो कहा नही जा सकता क्योंकि भविष्य पुराण में आज बहुत मिलावट कर दी गयी है। इसके अतिरिक्त सभी ग्रंथों में भगवान विष्णु के महान नन्दक तलवार को भगवान कल्कि का अस्त्र बताया गया है। ऐसा लिखा गया है कि – “नन्दक नामक श्रेष्ठ खड्ग से भगवान कल्कि कलियुग में पापियों का नाश करेंगे।” इसीलिए सुदर्शन को उनसे सीधे सीधे नही जोड़ा जा सकता।