रेगुलर और पॉवर पेट्रोल में क्या फर्क होता है?
आप कभी की अपनी गाडी में पेट्रोल भरवाने जाते होने तो आपको पेट्रोल पंप पर दो तरह के पेट्रोल की सुविधा दी जाती होगी. कोई भी पेट्रोल पंप अपने पास दो तरह का पेट्रोल रखता हैं.
एक पेट्रोल सादा पेट्रोल होता हैं जो कि बेहद ही आम हैं. दूसरा पेट्रोल वह जिसे कंपनी द्वारा पॉवर फ्यूल भी कहा जाता हैं. हर पेट्रोलियम कंपनी ने पॉवर फ्यूल के नाम अलग-अलग रखे हुए हैं.
जैसे हिंदुस्तान पेट्रोलियम द्वारा इसे पॉवर (PoWer), भारत पेट्रोलियम द्वारा इसे स्पीड (Speed) और इंडियन आयल द्वारा इसे एक्स्ट्राप्रीमियम (xtra premium) नाम दिया गया हैं
पॉवर फ्यूल की कीमत भी आम पेट्रोल से ज्यादा ही वसूली जाती हैं.
पेट्रोल का विभाजन पेट्रोल में मौजूद ओकटाइन नंबर से किया जाता हैं. प्रीमियम पेट्रोल का ओकटाइन नंबर नार्मल पेट्रोल से थोडा ज्यादा होता हैं.
आमतौर पर नार्मल पेट्रोल की ओकटाइन संख्या 87 से 89 के बीच होती हैं वही प्रीमियम पेट्रोल की ओकटाइन संख्या 91 से 93 के बीच रहती हैं.
ओकटाइन संख्या ज्यादा होते के कारण ही इसकी कीमत दो तीन रूपए ज्यादा ही रहती हैं.
हाई ओकटाइन वाले पेट्रोल का यह फायदा होता हैं कि यह इंजन में इंजन-नौकिंग (Engine Knocking) और डेटोनेटिंग (Detonation) को कम कर देता हैं.
इंजन-नौकिंग और डेटोनेटिंग एक मैकेनिकल टर्म हैं यदि सरल शब्दों में इसे समझने की कोशिश तो यह इंजन में आने वाली टक-टक की आवाजों को कम कर देता हैं.
यह इंजन-नौकिंग और डेटोनेटिंग इंजन की लाइफ पर असर डालती हैं. हाई ओकटाइन वाला फ्यूल उन वाहनों के लिए सही रहता हैं जिसमे हाई कम्प्रेशन सिस्टम होता हैं. और जो वाहन इम्पोर्टेड हैं. पॉवर पेट्रोल इंजन को नौकिंग से बचाता है बल्कि इसे होने से भी रोकता हैं. यह इंजन में किसी भी तरह के अनुपयोगी पदार्थों को भी पैदा होने से रोकता हैं और इंजन को पूरी क्षमता से काम करने में मदद करता हैं.
हालाँकि इसका फायदा देखने के लिए आपको कम से कम दो-तीन टंकी पूरी पॉवर पेट्रोल से भरवानी पड़ेगी. क्योंकि इसका असर बहुत धीरे धीरे देखने को मिलता हैं. पॉवर पेट्रोल किसी भी इंजन के लिए यह प्रमाणिक करता हैं उससे ऐसे कार्यक्षमता मिले जिसके लिए उसको बनाया गया हैं.
पॉवर पेट्रोल इस लिए भी जरुरी हैं कि यह इंजन में किसी भी तरह की गन्दगी जमा होने रोककर सालों-साल इंजन को सुचारू रूप से चलने दे.