रेलगाड़ी तो सीधी चलती है लेकिन हम अगल-बगल में क्यों हिलते हैं? जानिए वजह

क्योंकि – रेलगाड़ी बिल्कुल सीधे नहीं चलती है । हकीकत में रेलगाड़ी अत्यंत ही कम मान (amplitude ) एवं आवृति के लहर के रूप में चलती है । सो आभास यही होता है कि बिल्कुल सीधे जा रहें हैं , पर हकीकत में हल्का पार्श्व कम्पन रहता है । सीधी पटरी पर रेलगाड़ी का तरंग के रूप में , अगल बगल डोलते हुए चलना चलना नीचे देखें (schematic )

इसका कारण ये है कि पहिये की सतह जो रेल से मिलती है वो सपाट (flat) सीधे नहीं होते हैं , बल्कि उनमें स्लोप होता है (1 इन 20 )

सो मूल प्रश्न का उत्तर तो यहीं समाप्त होता है। आगे हम ये देखेंगे , ये तरंग सी गति क्यों।

————तरंग क्यों ? पहिये की सतह में कोण क्यों ??———

नीचे भारतीय रेल की आधिकारिक साइट से पहिये का रेखाचित्र और चित्र दिया गया जहाँ, पहिए में कोण/स्लोप/conicity स्पष्ट दिखता है

(ऊपर की तस्वीर RDSO, (रेल की अनुसंधान सह डिज़ाइन इकाई ) भारतीय रेल की आधिकारिक साइट से है और नीचे की तस्वीर रेल पहिया कारखाना , बंगलोर की साइट से लिया गया है – Welcome to Rail Wheel Factory Official Website)

पर ऐसा किया क्यों जाता है ?

इसका उत्तर जानने के लिए , अपनी कार को पीछे से बैठकर नीचे देखें । दोनों पहियों के बीच में अंडाकार बॉक्स होगा जिसे डिफरेंशियल (differential ) कहते हैं।

साथ ही पहिये और पटरी के बीच जान बूझकर गैप रखा जाता है ( 2 सेंटीमीटर या पौन इंच ) जिसकी गणना नीचे दी गयी है । जिज्ञासु पाठक फुट नोट देखें ।

अब इन दोनों कारण को विस्तार से समझते हैं।

कार में डिफरेंशियल इसीलिए दिया जाता है कि, curve या मोड़ पर पीछे के दोनों पहिये अलग अलग स्पीड से घूम सकें। curve पर अंदर के पहिये को कम दूरी तय करनी होती है और बाहरी पहिये को ज्यादा – यानि different स्पीड। डिफरेंशियल ये काम बखूबी सम्पन्न कर देता है , कोणाकार गियर द्वारा । परंतु रेल के पहिये में डिफरेंशियल लगाना संभव नहीं है । अतःदोनों पहियों को अलग अलग स्पीड से चलाने का काम डिफरेंशियल के कोण की जगह पहिये के कोण से सम्पन्न होता है। अंदर वाला पहिया अंदर की ओर एवं बाहर वाला पहिया बाहर , जिससे अंदर के पहिया का diameter (व्यास ) कम हो जाता और बाहर वाले का ज्यादा जिससे वो ज्यादा स्पीड में घूम सकता है , हालांकि rpm या आवृति same होता है । पहिये को अंदर बाहर खिसकने की जगह देना जरूरी है , जिसका मान कम से कम पौन इंच होता है।

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