रेलवे कोच में बगल वाले नीचे के बर्थ को किस प्रकार रेलवे ने अधिक आरामदायक बनाने का प्रयास किया है? जानिए आप भी

रेल के साइड लोअर बर्थ को गिराकर यानी केदो आमने सामने वाली साइड की सिटस् के पीठ के पोर्शन को सामने की ओर गिराकर उसे हम स्लिपर/बेड बनाया करते थे. फलस्वरूप, ऐसे बेड के बीच के हिस्से में एक दरार/गैप का होना लाज़मी था. यह स्थिति सोनेवाले व्यक्ति को असुविधाजनक हुआ करती थी.

कई बार ये दोनों आधे भाग नीचे उपर भी हुआ करते थे. यह असमतल स्थिति से सोनेवाले व्यक्ति को तकलिफ़ का सामना करना पड़ता था और वह सोने की क्रिया में खलल पैदा करता था, यात्री सही ढंग से सो नहीं पाता था. इसे रेलवे ने दोनों अर्ध पोर्शन पर साइड में एक लेवलिंग क्लिप/कनेक्टर लगाकर दोनों आधे पोर्लेशन्वस को लेवल में रखने का प्लरयास किया था,

लेकिन बीचवाली दरार की असुविधा बरकरार थी. रेलवे के पास इसकी काफी शिकायतें भी आती रही जिसे दूर करने के लिये अब एसी कोच में लोअर बर्थ में दोनों सीटों को जोडने के बाद साइड में नीचे से एक पल्ला ऊपर खींच कर दोनों ज्वाइंट सीट पर ला कर बिछाया जाने की सुविधा कुल 70 ट्रेनों में की गयी हैं. मुहय्या, जिसके बाद बर्थ समतल हो जाता और बर्थ ऊपर नीचे नहीं होता.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *