लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू होने के पीछे कौन सी पौराणिक मान्यता है?
महालक्ष्मी लक्ष्मी का वाहन होने के कारण भारतीय संस्कृति में उल्लू को बहुत महत्व दिया जाता है । बाल्मीकि रामायण में उल्लू को मूर्ख के स्थान पर चतुर कहा गया है। किसी भी धार्मिक ग्रंथ में उल्लू को मूर्ख नहीं माना जाता।
माता लक्ष्मी ने उल्लू को अपना वाहन किस प्रकार चुना इसके लिए एक कथा प्रचलित है।
एक बार सभी देवी-देवता अपना अपना वाहन चुन रहे थे। जब लक्ष्मी जी की बारी आई तो वे सोचने लगी कि किसे अपना वाहन चुने। लक्ष्मी जी जब अपना वाहन चुनने के लिए सोच विचार कर रही थी इतनी देर में पशु-पक्षी लक्ष्मी जी का वाहन बनने की होड़ में आपस में लड़ाई करने लगे। इस पर लक्ष्मी जी ने उन्हें चुप कराया और कहा कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन में पृथ्वी पर विचरण करने आती हूं। उस दिन मैं आप में से किसी एक को अपना वाहन बनाऊंगी। कार्तिक अमावस्या के रोज सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए लक्ष्मी जी की राह निहारने लगे।
रात्रि के समय जैसे ही लक्ष्मी जी धरती पर पधारी उल्लू ने अंधेरे में अपनी तेज नजरों से उन्हें देखा और तीव्र गति से उनके समीप पहुंच गया। उनसे प्रार्थना करने लगा कि आप मुझे अपना वाहन स्वीकारें। लक्ष्मी जी ने चारों और देखा उन्हें कोई भी पशु या पक्षी वहां नजर नहीं आया तो उन्होंने खुशी खुशी उसे अपना वाहन स्वीकार कर लिया। लक्ष्मी जी ने उल्लू को अपना वाहन बनाकर धरती की परिक्रमा की। तभी से उल्लू लक्ष्मी जी का वाहन है।