लोग दारू के साथ मांस खाना पसंद क्यों करते हैं? जानिए वजह

दारू पेट में जाने के बाद खुद मांस ढूंढने लगती है, और अगर पीने वाला दारू को बाहर से मांस न उपलब्ध करा पाए, तो वो उसी का मांस खाने लगेगी और फिर जो 10 साल बाद होता वो 5 ही साल बाद होने की संभावना बढ़ जाएगी ।

मदिरा तमोगुण प्रधान प्रभाव से युक्त होती है , इसके सेवन के बाद व्यक्ति में तमोगुण का आधिक्य होने लगता है, और मांस खाने की इच्छा तीव्र होने लगती है और इसी कारण से मद्यपि लोग मदिरा सेवन के बाद मांस खाने का कोई भी अवसर जाने नहीं देते ।

इस प्रसंग में मदिरा और उसके प्रभाव के संदर्भ में सुनी एक कहानी याद आ रही उसे , साझा कर रहा हूँ,,,,,,,,,

Image result for लोग दारू के साथ मांस खाना पसंद क्यों करते हैं? जानिए वजह

एक बार एक सन्यासी किसी तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे , मार्ग में अचानक मौसम बिगड़ गया और आंधी के साथ तेज़ वर्षा होने लगी, ऐसे में महात्मा जी कहीं तत्काल शरण पाने का प्रयास करने लगे, संयोगवश उसी मार्ग में उन्हें एक मकान दिखा, और शरण पाने के लिए उन्होंने उस घर के मुख्य द्वार पर जाकर आवाज़ दी , घर मे से एक अत्यंत रूपवान महिला द्वार पे आयी और सन्यासी की समस्या सुन उन्हें आदर सहित अंदर ले आई और उन्हें उपयुक्त स्थान पर बैठाया।

औपचारिक वार्तालाप के बाद महिला ने सन्यासी को अपना परिचय देते हुए कहा कि, “मैं एक वेश्या हूँ , चूंकि आपने विपरीत परिस्थितियों के चलते मुझसे शरण मांगी और मैने दी भी, इस प्रकार आप आज रात के लिए मेरे अतिथि हुए, इसलिए मुझे अथितिधर्म का निर्वाह करते हुए आपका सत्कार करने की अनुमति दीजिए।”

सन्यासी ने प्रसन्न हो के उसका आतिथ्य स्वीकार किया और उसे अनुमति भी दे दी। अनुमति मिलने के बाद वह अपनी रसोई में गयी और थोड़ी देर बाद वापस लौटी। वापस आने के बाद उसने सन्यासी महोदय के सामने आतिथ्य सत्कार के तीन विकल्प प्रस्तुत किये और कहा

” चूंकि आप मेरा आतिथ्य स्वीकार करने के लिए वचनबद्ध हैं, अतः इन तीन विकल्पों में से आपको किसी एक को स्वीकार करना ही होगा , जिनमे पहला विकल्प ये की आप मांस खाइये, दूसरा मदिरा का सेवन कीजिए और तीसरा ये की आप मेरे साथ संभोग कीजिए, मैं एक वेश्या हूँ और मेरे यहाँ अतिथि सत्कार की यही परंपरा है”।

सन्यासी बड़े धर्मसंकट में पड़े सोचा, की वचनबद्ध होने के कारण आतिथ्य तो स्वीकार करना ही पड़ेगा,लेकिन मांस खाने पर धर्म भ्रष्ट, वेश्या गमन करने पर चरित्र भ्रष्ट , इन तीनो में सबसे कम गर्हित मदिरा पीना ही है, इसलिए मदिरा पीकर कर के ही धर्म रक्षा संभव है , इस प्रकार यह सोचते हुए उन्होंने मदिरा पात्र उठाया और उसे पी गए।

और जैसे ही वो मदिरा के प्रभाव में आये , उसके बाद उन्होंने और मदिरा मांगी और पीते गए , उसके बाद उन्होंने मांस भी खाया , इस तरह से मांस और मदिरा दोनों का सेवन कर लेने के बाद उस वेश्या के साथ संभोग भी किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *