विदेशों में भी बारिश होने के बावजूद वहाँ बिजली क्यों नहीं काटी जाती है? हमारे देश से क्या अलग है उनकी वायरिंग?

विदेशों में भी जो विकसित देश हैं खासकर टेक्नोलॉजी के मामले में, वहां बिजली की सप्लाई हमेशा रहती है। लेकिन सभी देशों में ऐसा नहीं है। अपने भारत में भी मुंबई में बिजली बिल्कुल भी नहीं कटती है चाहे कितनी भी बारिश हो। हां मुंबई के अलावा बाकी जगहों पर बारिश अथवा खराब मौसम के समय बिजली का जाना आम बात है।

अब आपके सवाल पर आते हैं। कुछ विकसित देशों जैसे जर्मनी और हॉलैंड में बिजली की वायरिंग हमारे देश से अलग है। जो सबसे बड़ा मूल अंतर है वो है – बिजली के संचरण तथा वितरण के लिए उपयोग की जाने वाली ओवरहेड प्रणाली तथा अंडरग्राउंड प्रणाली।

इस संबंध में एक मूल जानकारी आप समझ लीजिए। बिजली का उत्पादन होने के बाद उसे आपके पास पहुंचाने के लिए इसका संचरण तथा वितरण किया जाता है। संचरण की प्रक्रिया में बिजली को तारों के माध्यम से आपके क्षेत्र तक लाया जाता है और इसके बाद अलग अलग घरों में इसका वितरण किया जाता है। अब ये संचरण और वितरण की प्रक्रिया दो तरह से हो सकती है। या तो इन्हें ओवरहेड लाइनों के माध्यम से किया जाए अर्थात खुले तारों को आसमान में पोल/टावर को जोड़ते हुए या अंडरग्राउंड केबलों के माध्यम से अर्थात जमीन के अंदर तारों को बिछाकर। इन दोनों में से कौन सी प्रणाली का उपयोग किया जाए यह बहुत से कारकों पर निर्भर करता है।

जहां तक संचरण की बात है, अधिकतर देशों में यह ओवरहेड माध्यम से ही किया जाता है। लेकिन जब हम वितरण की बात करते हैं तो अधिकतर विकसित देशों में यह अंडरग्राउंड होता है जबकि भारत में ओवरहेड। यही कारण है कि भारत में बिजली की समस्या ज्यादा होती है क्योंकि ओवरहेड वाली स्थिति में मौसमी कारणों से फॉल्ट होने की संभावना ज्यादा रहती है।

आपने स्वयं अपनी गली अथवा कॉलोनी में तारों का जंजाल देखा होगा। जबकि विदेशों में ऐसा नहीं होता। वहां बिजली का वितरण अंडरग्राउंड होता है इसलिए ज्यादा समस्या नहीं होती। और इससे एक फायदा यह भी है कि खुला खुला आसमान कितना क्यूट लगता है 🙂

अब आपको ऐसा लगता होगा कि भारत में हम अंडरग्राउंड सिस्टम क्यों नहीं बना देते। दरअसल इसमें खर्च बहुत ज्यादा आता है जिसका वहन करना सरकार के लिए संभव नहीं है। दूसरी बात यह भी है कि यहां सड़कों पर अतिक्रमण बहुत ज्यादा है जिससे यह व्यावहारिक रूप से भी संभव नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *