व्हेल की उल्टी सोने से भी ज्यादा कीमती क्यों होती है?

व्हेल के शरीर से निकलने वाले इस अपशिष्ट को कई वैज्ञानिक उल्टी बताते हैं, तो कई इसे मल बताते हैं। कई बार यह पदार्थ रेक्टम के जरिए बाहर आता है, लेकिन कभी-कभी पदार्थ बड़ा होने पर व्हेल इसे मुंह से उगल देती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एम्बरग्रीस कहते हैं। व्हेल की आंतों से निकलने वाला एम्बरग्रीस काले या स्लेटी रंग का ठोस, मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है। यह पदार्थ व्हेल के शरीर के अंदर उसकी रक्षा करता है।

आमतौर पर व्हेल समुद्र के तट से काफी दूरी बनाकर रहती हैं। ऐसे में उनके शरीर से निकले एम्बरग्रीस को समुद्र के किनारे आने पर कई साल लग जाते हैं। बता दें कि समुद्र के नमकीन पानी और सूरज की रोशनी के कारण यह अपशिष्ट चट्टान जैसी चिकनी, भूरी गांठ में बदल जाता है, जो मोम जैसा महसूस होता है।

एम्बरग्रीस का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में किया जाता है। इस वजह से यह काफी कीमती होता है। एम्बरग्रीस से बने परफ्यूम की खुशबु लंबे समय तक बनी रहती है। कई वैज्ञानिक एम्बरग्रीस को तैरता सोना भी कहते हैं। वहीं इसकी वजन की बात करें, तो ये 15 ग्राम से 50 किलो तक हो सकता है।

दुनिया के कई इलाकों में एम्बरग्रीस से बने परफ्यूम का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन मिस्र के लोग एम्बरग्रीस से अगरबत्ती और धूप बनाया करते थे। यूरोप में ब्लैक एज के दौरान लोगों का यह मानना था कि एम्बरग्रीस का एक टुकड़ा साथ रखने से उन्हें प्लेग रोकने में मदद मिल सकती है। क्योंकि एम्बरग्रीस का सुगंध हवा की गंध को ढक लेती थी, जिसे प्लेग का कारण माना जाता था।

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