शकरकंदी खाना किस तरह से फायदेमंद है? जानिए
महाराष्ट्र में धुले, जलगांव, नंदुरबार जिल्होंमे इसकी पैदावार ज्यादा मात्रा में होती है। महाराष्ट्र के किसानों और वारकरी संप्रदाय के आराध्य दैवत पंढरपुर के विठ्ठल-रुक्मिणी है। आषाढ़ और कार्तिक मास की एकादशी तिथि को पंढरपुर में बड़े पैमाने पर उत्सव का आयोजन किया जाता है। और एकादशी व्रत (उपवास) रखा जाता है।व्रत में मुख्य तौर पर शक्करकंद का सेवन करते हैं। इस उपलब्धि का लाभ उठाने के लिए हर छह माह में इसकी प्लॅंटेशन की जाती है। उपर तस्वीर में जो बेल दिखाई देती है, उसीका एक फिट का टुकड़ा बोया जाता है। आषाढ़ मास में बोया हुआ कार्तिक में तैयार होता है, जो लगभग मार्गशीर्ष तक मार्कैटींग किया जाता है। मार्गशीर्ष का प्लॅंटेशन आषाढ़ में बेचा जाता है।
इसको गरिब का आनाज कहा जाता है।
इसकी दो प्रजातियां पाई जाती है, लाल और सफेद। लाल वाला सफेद की तुलना में अधिक मिठा होता है।
शक्कर-कंद शरीर पोषण में कारगर साबित होता है।
- इसमें फाइबर की मात्रा होने से बध्दकोष्ठता को प्रतिबंध करता है।
- उपवास में सेवन करने से फाइबर की वजह से पेट भरा हुआ महसूस होता है और पानी की मात्रा भी बढ़ाता है।
- नैसर्गिक शक्कर मौजूद होती है, जो आसानी से शरीर में शोशीत होती है और इंसुलिन लेवल को बढ़ाती है। इसलिए मधुमेहग्रस्त भी सेवन कर सकते हैं।
- प्रचूर मात्रा में पोटॅशियम होने की वजह से शरीर में सोडियम की मात्रा को नियंत्रित करता है जिससे ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में मदद होती है।
- इसमें मौजूद बीटा-कैरोटीन से ॳॅटीॴॅक्सिडंट की निर्मिती होती है, जिससे स्तन और फेफड़ों के कैंसर को प्रतिबंध होता है। साथ में यह ॳॅंंटीएजींग भी है।
- इसमें मौजूद लोह की मात्रा, लाल और सफेद रक्त पेशीयोंके निर्माण में सहायक होती है और ॳॅनिमीया को दूर करती है।
- इसमें मौजूद प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और इंजाईम्स शरीर के भरण-पोषण में सहायक होते हैं।
- इसको बाॅइल किए गए पानी से त्वचा की खुजली मिटती है और त्वचा चमकदार होती है।