शास्त्रों के हिसाब से चन्द्र देव की कितनी पत्नियां हैं? जानिए सच
इसलिए है चंद्रमा में दाग, 27 पत्नियां होने के बावजूद चंद्रदेव ने किया गुरु पत्नी तारा का अपहरण
ब्रह्माजी के आदेशानुसार महर्षि अत्रि ने कई वर्षों तक तप किया, जिसके प्रभाव से तेज निकला उनका यह तेज सोम कहलाया। समस्त लोकों के कल्याण के लिए ब्रह्माजी ने अपने रथ में सोमदेव को स्थापित कर लिया। उस रथ पर बैठने के बाद सोमदेव ने 21 बार पृथ्वी की परिक्रमा की। जहां-जहां सोमदेव का तेज गिरा वहां समस्त प्रकार की औषधियां उत्पन्न होने लगीं।
इसके बाद सोमदेव ने ब्रह्माजी की कई वर्षों तक तपस्या की। इससे खुश होकर ब्रह्माजी ने सोमदेव को बीज, औषधि, जल का देवता बना दिया। ब्रह्माजी की आज्ञा से सोमदेव ने एक राजसूय यज्ञ का आयोजन किया।
इसमें उन्होंने सभी ऋर्षियों और राजाओं को आमंत्रित किया। यज्ञ समाप्त होते ही राजा दक्ष ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह सोमदेव के साथ कर दिया।