शेयर बाज़ार में आपका गँवाया हुआ पैसा आखिर कहाँ जाता है?

इस बाज़ार में दो तरह का काम होता है

  1. ट्रेडिंग
  2. निवेश

ट्रेडिंग मतलब व्यापार तो जैसे किसी भी व्यापार में होता है कि व्यापारी सस्ते दाम में ख़रीद कर महँगे दाम में माल बेचने की कोशिश करता है। पर कई बार माल की गुणवत्ता ख़राब होती है या अचानक से बाज़ार में उस चीज की माँग गिर जाती है तो क्या होता है? व्यापारी कोशिश करता है कि जो पैसा बच रहा है वो बचाया जाए तो घाटे में भी माल बेच देता है। और ये जो इसने गँवाया वो पैसा कहाँ गया? वो पैसा गया उस थोक व्यापारी के पास जिसने माल ज़्यादा क़ीमत पर बेचा था।

अब एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए मैं एक कपड़े की दुकान चला रहा हूँ मैंने १०० रुपए प्रति पेंट के हिसाब से १०० पैंट किसी थोक व्यापारी से ख़रीदीं ये सोचकर कि मैं १५० रुपए में बेचकर मुनाफ़ा कमाऊँगा, तो मैंने कितने पैसे दिए थोक व्यापारी को? १०००० रुपए। अब जब माल आया तो पता लगा कि उस डिज़ायन का पैंट तो फ़ैशन में ही नहीं रहा,कोई लेने को ही तैयार नहीं है तो मैं पहले मुनाफ़ा कम करूँगा कि कोई १२० में ले ले नहीं बिकेगी,

तो कोशिश करूँगा कि जितने में ख़रीदी है उतने में ही बिक जाए तो १०० रुपए में बेचूँगा पर जब ये एहसास हो जाएगा कि इन पैंट्स को कोई १०० रुपए में भी नहीं लो रहा और जितना देर करूँगा बिकने की सम्भावना कम होती जाएगी, तब मैं क्या करूँगा कि जिस दाम में बिक रही है उसी में बेचकर कुछ पूँजी बचाने की कोशिश करूँगा। अब मान लो कि १०० पैंट्स को कुल ७००० रुपए में बेचा तो मेरा कुल नुक़सान हुआ ३००० रुपए का। ये पैसा गया थोक व्यापारी के पास।

अब इसी को शेयर बाज़ार में लगाते हैं। मान लीजिए आपने कोई कम्पनी X का शेयर १०० रुपए में ले लिया अब क़ीमत गिरने लगी तो आपने ९० रुपए में बेच दिया। तो आपका जो १० रुपए का नुक़सान हुआ वो उसके पास गया जिसने आपको वो शेयर बेचा था। शेयर बाज़ार में जो ट्रेडिंग होती है उसमें कोई खोता है तो कोई पाता है तो कुल मिलाकर शून्य ही रहता है।

अब आते हैं निवेश पर। मैंने बताया कि ट्रेडिंग में एक का नुक़सान दूसरे का फ़ायदा होता है, परंतु निवेश में अलग हो जाता है थोड़ा सा। यहाँ ज़रूरी नहीं है कि एक खोए तभी दूसरा पाए। हो सकता है सबने कुछ ना कुछ कमाया हो। कैसे? मान लेते हैं एक कम्पनी है X मैंने देखा कि कम्पनी बहुत अच्छी है मैंने उसका शेयर ५० रुपए में ख़रीदा और मैंने ख़रीदकर अपने पास रख लिया, कुछ दिन बाद शेयर की क़ीमत ४५ रुपए हो गई, पर मुझे भरोसा है कि कम्पनी बहुत अच्छी है ये क़ीमत फिर बढ़ेगी और ६ महीने बाद क़ीमत बढ़ी और १०० रुपए हो गई। मुझे लगा कि ६ महीने में पैसा दो गुना हो गया जो कि मेरे लिए बहुत ज़्यादा है, मैंने १०० रुपए में शेयर बेच दिया।

मैंने कितना कमाया? ५० रुपए एक शेयर पर। अब मुझसे जिसने ख़रीदा उसको भी भरोसा था कम्पनी पर इसीलिए उसने ख़रीदा है और वो बहुत ही धैर्यवान व्यक्ति है वो ख़रीदकर १० साल के लिए भूल गया और वो शेयर १० साल में १००००० रुपए का हो गया तब इसने सोचा कि ठीक है 99900 रुपए कमा लिए और मेरा पैसा १००० गुना हो गया है इसे बेच देता हूँ। उसने वो शेयर १ लाख का बेचा, अब जिसने ख़रीदा उसने भी निवेश के लिए ही ख़रीदा है और कम्पनी का व्यापार और लाभ अभी भी बढ़ता जा रहा है तो उस शेयर की माँग भी बाज़ार में बनी रहेगी और हो सकता है कि अगले १० साल में वो शेयर १ करोड़ का हो जाए। तो इनमें से किसने गँवाया? किसी ने नहीं सबने अपने अपने हिसाब से लाभ ही कमाया।

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