श्री राम के पुत्र लव और यमराज के बीच युद्ध क्यों हुआ था?

लव कुश के संदर्भ में एक प्रसंग ऐसा भी आया जब लव यमराज तक को परास्त करने में सफल रहे.

प्रसंग है राजा राम के मंत्री सुमंत्र का!

तब अयोध्या के वृद्ध मन्त्री सुमंत्र स्वर्गवासी हो गए थे.

हालाँकि बाद में शीर्ष पंडितों द्वारा सुमंत्र की कुन्डली देखने पर पता चला कि उसकी आयु के नौ दिन शेष बचे रह गये थे और यमदूतों ने 9 दिन पहले ही सुमंत्र को उठा लिया था.

तब प्रभु राम ने यमराज के इस कृत्य को अपमान समझकर उसे दंड देने की प्रतिज्ञा कर ली.

गरुड़ पर बैठ कर ज्योंही श्रीराम यमपुरी की ओर बढे, तभी रास्ते में उन्हें वह यमदूत दिखलाई दिए, जो सुमंत्र की आत्मा को यमलोक ले जा रहे थे. उन्हें दंड देकर श्रीराम सुमंत्र को छुड़ा लाये.

यमदूतों को यह कार्य अनुचित जान पड़ा और वह यमराज को धिक्कारने लगे कि वह अपने अनुचरों की रक्षा नहीं कर सकते!

यमराज को भी क्रोध आ गया और वह इंद्र सहित तमाम देवी-देवताओं के पास मदद मांगने पहुंचे, किन्तु नारायण के अवतार के खिलाफ भला कौन यमराज की मदद करता?

जब उनकी किसी ने भी सहायता नहीं की, तब क्रोधित यमराज अपनी ही सेना लेकर राम के साथ युद्ध करने की मंशा पाले अयोध्या चल पड़े.

यमराज के द्वारा अयोध्या को घिरा देखकर श्री राम ने लव को युद्ध करने का आदेश दिया और फिर लव के बाणों से घायल होकर यमराज के करोड़ों यमदूत धराशायी हो गये. अपनी किसी भी युक्ति को चलता न देखकर यमराज ने लव पर ‘यम-दंड’ का प्रहार कर दिया और इसकी काट के रूप में लव को ब्रह्मास्त्र चलाना पड़ा.
बस फिर क्या था, यमराज को भागना पड़ा, किन्तु ब्रह्मास्त्र उनका पीछा छोड़ने को राजी न था!

कहा जाता है कि सूर्य की शरण में यम चले गए और सूर्यवंश की शपथ देकर लव को सूर्यदेव ने ब्रह्मास्त्र वापस लौटाने को मनाया.
तत्पश्चात यमराज को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह अपने पिता सूर्य के साथ श्री राम के दर्शन हेतु अयोध्या नगरी पधारे!

लव की वीरता देखकर देवता पुष्प वर्षा करने लगे और श्रीराम के पुत्र की कथा युगों-युगों तक अमर हो गयी!

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