सिकन्दर के आक्रमण के समय मगध पर किसका शासन था? जानिए

सिकंदर ने भारत पर आक्रमण ईशा पूर्व 326 मे किया था और पोरस से झेलम कै तट पर दोनो सेनाओ मे युद्ध हुआ. इसकी सेना मे घोड़े अधिक थे जबकि इसको पोरस कै प्रतिद्विंदी आम्भिक जो तक्षशिला का राजा था से हाथी सेना और पैदल सेना से मदद मिली. इस यिध मे पोरस कि हादती सेना रथ सेना और पैदल सेना ने युद्ध किया और पोरस यह युद्ध हार गया. ईशा पूर्व 325 मे सिकंदर सिंध नदी कै तट से मेसीडोनिया कै लिए वापिस हो गया और अपने क्षत्रप नियुक्त कर गया. अपने देश मिश्र पहुँचने से पूर्व ही उसकी परसिया मे मृत्यु हो गयी जो राजा डारियस का शाशन था. उसने डारियस कि बेटियों से व्याह किया.

जीस समय सिकंदर भारत पर आक्रमण किया उस समय भारत मे छोटे छोटे राज्य थे और महाजनपदों मे विभाजित थे. उस समय भारत मे मगध महाजनपद सबसे मज़बूत तथा सैन्य शक्ति सम्पन्न राज्य था. इस समय यहां पर नन्द वंश का राज्य था. नन्द वंश कि स्थापना 344 ईशा पूर्व मे महापद्म नन्द ने कि थी. इसने अपने राजा शिशुनाग वंशीय को मारकर राज्य पर अधिकार किया. इसको शुद्र माता से उतपन्न मना गया है. नई जाती से था. इसके आठ पुत्र थे. इसको अग्रसेन, उग्रसेन, सर्वक्षत्रांतक पदों से विभूषित किया गया था. पुराणों मे वर्णित परशुराम भी इसे मना जाता है क्योंकि क्षत्रियंतक विरुद इस बात का प्रमाण है कि इसने सभी क्षत्रियों का अंत कर दिया था. नंदों को नवनन्द भी कहा जाता है. इसकी मृत्यु कै बाद धननंद राजा बना और धननंद ने 322 ईशा पूर्व तक शाशन किया.

322 ईशा पूर्व मे चन्द्रगुप्त ने कौटिल्य कि मदद से इसे अपदस्थ कर दिया और मौर्य वंश कि स्थस्पना कि. चन्द्रगुप्त मौर्य भारत कै पहले चक्रवर्ती सम्राट बने. चन्द्रगुप्त मौर्य ने बैक्टीरिया कै शाशक और सिकंदर कै प्रतिनिधि सिल्यूकस को हराकर उसकी सुंदर पुत्री हेलेना से विवाह कर लिया था. इन्होने 298 ईशा पूर्व मे राज्य अपने पुत्र बिन्दुसार को देकर सन्यास ले लिया और जैन धर्म सपना लिया. मौर्य वंश भी 185 ईशा पूर्व मे समाप्त हो गया और इसके दसवे अंतिम शाशक ब्रहद्रथ को उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग जो ब्राह्मण था ने वध कर दिया था और सुंग वंश कि स्थापना कि. अशोक कै बौद्ध धर्म अपनाने से ब्रहद्रथ शांतिप्रिय था और भारत कमजोर हो रहा था. बाहरी आक्रमण बढ़ रहे थे. पुष्यमित्र शुंग को ही राम कहा गया है. इसने ही दसवे मौर्य राजा का वध किया और इसी उपलक्ष मे दशहरा मनाया जाता है. ऐसा भी कहा जाता है दशहरा कै उपलक्ष मे. इसने हिंदू धर्म को पुनः स्थापित कर ब्राह्मणो कि सत्ता मज़बूत कि समाज मे पुनः ब्राह्मण महत्वपूर्ण हुए.

अतः सिकंदर कै आक्रमण कै समय मगध मे धन नन्द का शाशन था. इसके पास बढ़ी मज़बूत और विशाल सेना थी जिसमे 2 लाख पैदल, 20 हज़ार घुडसवार, 3 हज़ार हाथी, 4 हज़ार रथ थे. सिकंदर कि सेना को यह सुचना मिल गयी थी और उनको भारत मे आगे बढ़ने मे हर क्षेत्र मे छोटे छोटे राजाओं से भी प्रतिरोध का सामना करना पद रहा था. सभी लोग आगे बढ़ना नहि चाहते थे. सेनिको कै हतोत्साहित होने से सिकंदर ने भारत अभियान मगध नरेश धन नन्द से लड़े बिना ही समाप्त कर दिया.

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