हमें दिन- भर में ‘कितना पानी पीना चाहिए’ ? सच्चाई जानिए

कुछ लोग कहते हैं कि एक व्यक्ति को दिन भर में 1 से 2 लीटर पानी पर्याप्त होता है और उसे अधिक पानी पीना नुकसान कर सकता है। कई विद्वानों का मत है कि, दिन में 5 से 7 लीटर तक पानी पीना चाहिए और यह पानी हमारे शरीर को साफ करता है।

  • वास्तविकता क्या है?

एक बच्चे का शरीर लगभग 75% पानी से बना होता है तथा एक व्यस्क का शरीर लगभग 65% पानी से बना होता है। यह इस बात का संकेत है कि, हमारे लिए पानी कितना ज्यादा महत्वपूर्ण है।

  1. इसका एक अर्थ यह भी है कि, हमारे भोजन में करीब 60% पानी होना चाहिए।

3.पानी एक प्रकार का भोजन है: जो खनिज-लवणों से युक्त होता है। जिनके हमारे शरीर को बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। यह खनिज-लवण हमारे शरीर के बहुत सारे क्रियाकलाप जो ऑटोमेटिक होते हैं या स्वचालित होते हैं जैसे ह्रदय का धड़कना, रक्त परिसंचरण, किडनी का कार्य करना, लीवर का कार्य करना, मस्तिष्क का कार्य करना,साथ ही खनिज-लवण सभी अंगों को नियंत्रित एवं संतुलित रखते हैं ।

  1. परंतु, पानी में सिर्फ h2o अर्थात सामान्य पानी ही नहीं आता है। इसमें फल, सब्जी, जूस जिनमें ज्यादातर मात्रा में सिर्फ पानी होता है। उसके द्वारा भी हम पानी को ग्रहण करते हैं।अर्थात उक्त माध्यमों से भी हमारे शरीर के पानी की आवश्यकता की पूर्ति होती है।
  2. अतः यह आवश्यक भी है कि हम जो भी भोजन करें उसमें पर्याप्त रूप में फल, जूस एवं सलाद की भरपूर मात्रा हो। तभी वह एक आदर्श भोजन बन सकता है। *अब ह२ो या सामान्य पानी, कितनी मात्रा में पीना चाहिए?

वैज्ञानिक तौर पर यह मात्रा आज तक निर्धारित नहीं हुई है कि, एक सामान्य आदमी को कितना पानी पीना चाहिए। इसका कारण यह है कि, हर व्यक्ति का शारीरिक श्रम, मानसिक श्रम, अनुवांशिक आधार तथा रोग इत्यादि से पानी की आवश्यकता भिन्न-भिन्न होती है।
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*तो एक सामान्य आदमी कैसे तय करें कि, उसको दिन में कितना पानी पीना चाहिए ?

सामान्य अवस्था में पानी का उत्सर्जन मूत्र एवं पसीने आदि के द्वारा होता है। और हमें उतना ही पानी पीना चाहिए जितना कि शरीर से पानी का उत्सर्जन हुआ है।

इसके लिए सबसे आसान तरीका है, शरीर का प्राकृतिक रूप से पानी की मांग करना होता है। अर्थात हमें जितनी प्यास लगे, उतना पानी पीना चाहिए। परंतु ज्यादातर मामलों में लोग अपने शरीर को इस प्रकार से बना लेते हैं कि, वह पानी का उत्सर्जन तो करता है। परंतु, शरीर पानी की मांग करना बंद कर देता है। यह एक खतरनाक स्थिति है।

यह कुछ इसी प्रकार होता है कि, यदि आपने समय पर भोजन नहीं किया तो, शरीर , स्वयं शरीर के अंदर मौजूद भोजन अर्थात वसा और कार्बोहाइड्रेट से भोजन ग्रहण करने लगता है। और आपको भूख लगना बंद हो जाती है।

परंतु, यह स्थिति कुछ समय के लिए उचित है, क्योंकि यह व्यवस्था प्रकृति ने विपत्ति काल के लिए दी हुई है। यदि इसका उपयोग निरंतर कई महीनों तक करेंगे तो, हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में जो पानी मौजूद है। वह पानी कम होने लग जाएगा अर्थात जो 65% पानी हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में है। उसमें से पानी कम होगा। तो निश्चित ही उनकी कार्य क्षमता पर असर पड़ने लगेगा और वे अंग जैसे हृदय, किडनी, फेफड़े, मांस-पेशियाँ, मस्तिष्क इत्यादि कमजोर एवं रोग ग्रस्त हो जाएंगे।

उचित यह होता है कि, हम हर 15-20 मिनट में एक दो घूंट पानी पीते रहे। यह प्रक्रिया 1 हफ्ते के लिए निरंतर करनी होती है। उसके पश्चात आपको शरीर से स्पष्ट संकेत महसूस होने लगते हैं कि, अब शरीर को पानी की आवश्यकता है या नहीं। यह संकेत इतने स्पष्ट होते है कि, आपको संशय करने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी सामान्यतः 2 से 3 लीटर पानी पर्याप्त होता है।

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