हिंदू धर्म में कन्यादान को क्यों कहा गया है सबसे बड़ा दान

हिंदू धर्म शास्त्र में कन्यादान का अपने आप में काफी महत्वता है और किसी भी पिता के लिए अपने कन्या का दान करना सबसे बड़ा पुण्य की बात होती है अगर कोई भी पिता अपने कन्या का दान करता है तो उसका जीवन सार्थक और सफल हो जाता है अब आपके मन मे सवाल आएगा कि कन्यादान आखिर में पिता अपना क्यों करता है इसके पीछे की वजह बहुत ही रोचक है ऐसा कहा जाता है.

कि पिता अपने घर की सारी लक्ष्मी को और समृद्धि को भर के हाथों में सौंप देता है और उसे वापस लेता है कि उसकी बेटी का ध्यान बहुत ही अच्छी तरह से रखेगा और उसे किसी प्रकार का दुख और तकलीफ होने नहीं देगा। इसके अलावा इस बात को सुनिश्चित करता है कि जिस प्रकार उसने अपनी बेटी को बड़े लाड़ प्यार से पाला है उसे प्यार किया है वही प्यार उसे ससुराल में मिले।

हिंदू धर्म में किसी भी माता-पिता के लिए अपने बेटी का कन्यादान करना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण और एक अहम माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग अपनी बेटी का कन्यादान करते हैं उन्हें मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है क्योंकि बेटी का कन्यादान करना किसी भी माता-पिता के लिए गर्व और सौभाग्य की बात होती है।

क्योंकि किसी भी बेटी का कन्यादान करना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण और एक अहम धार्मिक और सामाजिक कर्तव्य माना जाता है जब एक पिता अपने दिल के टुकड़े को दूसरे के हवाले करता है तो वह उस व्यक्ति से इस बात कि वादा लेना चाहता है कि वह उसके बेटी का ख्याल अच्छी तरह से रखेगा और उसके सभी दुखों को अपना समझेगा और उसे किसी प्रकार की तकलीफ होने नहीं देगा क्योंकि एक पिता जब इस घड़ी में अपने बेटी को विदा करता है तो उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह एक तरफ से पसंद होता है तो दूसरी तरफ से दुखी भी होता है इसलिए कन्यादान का अपने आप में काफी महत्वपूर्ण और अनोखा महत्व है।

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