2 रूपये से 2 हजार करोड़ रूपये की मालकिन बनने वाली महिला की कहानी क्या है? जानिए
आज हम आपको जिस महिला की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं उसने कभी 2 रुपए प्रतिदिन की कमाई से काम शुरू किया था। 2 रुपए रोजाना कमाने वाली यह महिला आज 2 हजार करोड़ रुपए की मालकिन है। दो रुपए से लेकर दो हजार करोड़ रुपए तक के अपने सफर को खुद कल्पना ने यूट्यूब के प्लेटफॉर्म जोश Talks के साथ साझा किया।
कल्पना ने बताया कि उनके उच्च शिक्षा नहीं मिली क्योंकि उनके घर में यह कहा जाता था कि लड़कियों को ज्यादा पढ़कर क्या करना है आखिर करना तो उन्हें चूल्हा-चौका ही है। वहीं कल्पना ने बताया कि उनकी शादी मात्र 12 वर्ष की आयु में ही हो गई थी। कल्पना की शादी भी हुई तो ऐसे परिवार में जहां बहुओं के साथ बुरा बर्ताव किया जाता था। उन्हें मारा जाता था, गलियां दी जाती थीं, छोटी-छोटी गलतियों पर भी उन्हें यही सजा दी जाती थी।
घर का सारा काम-काज करने के बाद भी कल्पना को गालियां और मार खानी पड़ती थी। कल्पना बताती हैं कि जैसे-तैसे उन्होंने इस नर्क भरी जिंदगी के 6 माह गुजारे और फिर उनके पिताजी उनसे मिलने आए। अपने पिताजी से मिलकर कल्पना फफक पड़ी। अपनी बेटी की ऐसी हालत देख उनके पिताजी भी अपने आंसू नहीं रोक पाए और कहा कि वे अपनी बेटी को एक क्षण के लिए भी यहां नहीं रहने देंगे। यह कहते हुए कल्पना को उनके पिता जी वहां से ले आए।
इसके बाद कल्पना अपने पिता के साथ मुंबई आ गईं और वहां एक हौजरी कंपनी, सन मिल कंपाउंड लोरपरेल में कार्य करने लगी। इस दौरान उन्हें 2 रुपए रोज मतलब 60 रुपए महीने का मेहनताना मिलता था। तकरीबन 3 सालों तक काम करने के बाद एक दिन अचानक कल्पना के पिता उनके पास आए और बताया कि उनकी बहन की बीमारी के चलते मौत हो गई।
पैसे न होने की वजह से उनकी बहन का न तो इलाज हो पाया न किसी सगे-संबंधियों ने उनका साथ दिया। इसके बाद कल्पना को पैसों की अहमियत समझ में आई और उन्हें ठान लिया कि वे अब पैसे कमाकर रहेंगी। इसके बाद कल्पना ने सरकारी योजना के तहत 50 हजार का लोन लिया और बुटीक के साथ फर्नीचर का काम भी शुरू किया।
इसके बाद कल्पना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सुशिक्षित बेरोजगार संगठन योजना बनाई। कल्पना ने अपनी योजना के तहत अशिक्षित बच्चों को रोजगार देने की ठानी। इसके बाद लोग कल्पना को पहचानने लगे और उनके पास अपनी परेशानियां लेकर आने लगे।
कल्पना बताती हैं कि एक बार उनके पास एक व्यक्ति एक प्लॉट का मसला हल करने के लिए लेकर आया और तब से कल्पना बिल्डर बनी। चूंकि हमारा देश पुरुष प्रधान है तो कल्पना का बिल्डर बनना किसी को पसंद नहीं आया और उनके नाम की सुपारी तक दे दी गई। इसके बाद कल्पना ने पुलिस कमिश्नर से रिवॉलवर लाइसेंस देने की मांग की और फिर रिवॉलवर ली।
इसके बाद कल्पना शुगर फैक्ट्री की डायरेक्टर बनी जिसके बाद कमानेटिव लिमिटेड के वर्कस कल्पना के पास आए और कल्पना वहां काम करने गईं। कल्पना बताती हैं, “कोर्ट ने वर्कर्स को मालिक बनाया और मालिक को साइड में खड़ा कर दिया। मैं मजदूरों के साथ रही। फिर 2006 में कोर्ट ने कंपनी मुझे चलाने के लिए दे दी। कोर्ट की शर्त थी 2011 में मुझे वहां से अलग होना है।” इसके बाद कल्पना iimt गवर्नर भी बनी। जो कल्पना कभी 2 रुपए रोजाना की नौकरी किया करती थीं आज वही पद्मश्री कल्पना सरोज बन हजारों लोगों को नौकरी दे रही हैं।