मर्दों में शीघ्रपतन और स्वप्नदोष समस्या के लिए मर्दों के लिए वरदान है बड़ का दूध

बड़ की कोपलें चेहरे की कांति बढ़ाने का काम करती हैं। बरगद की जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसकी ताजी जड़ों को कुचल कर चेहरे पर लगाएं। झुर्रियां कम हो जाएंगी।

बड़ के पत्तों की लुग्दी बनाकर शहद और शक्कर के साथ लेने से नकसीर की समस्या में आराम मिलता है। वट के बीजों को पीसकर पीने से उल्टी आने की समस्या दूर होती है।

जिस दांत में कीड़ा लग गया हो वहां इसके दूध में भीगा फोहा रखने से लाभ होता है। लगभग 10 ग्राम बरगद की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च बारीक पीसकर पाउडर बना लें। यह मंजन करने पर दांतों का हिलना, सडऩ, बदबू दूर हो जाती है।

बरगद की ताजा कोमल पत्तियों का पाउडर बनाकर खाने से मेमोरी अच्छी होती है। इसके पत्तों की राख को अलसी के तेल में मिला कर लगाने से सिर के बाल उग आते हैं। इसके कोमल पत्तों को तेल में पकाकर लगाने से सभी केश के विकार दूर होते हैं। जले हुए स्थान पर इसके कोमल पत्तों को पीसकर दही में मिलाकर लगाने से शान्ति प्राप्त होती है।

बरगद के दूध को अधिकतर शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, मरदाना कमज़ोरी, शारीरिक व यौन दुर्बलता जैसे रोगों को दूर करने के लिए उपयोग में लाया जाता है.

दोस्तों बरगद का पेड़ कसैला , शीतल, मधुर, और पाचन शक्तिवर्धक, भारी, पित्त, कफ (बलगम), व्रणों (जख्मों), धातु (वीर्य) विकार, पेशाब की जलन, योनि विकार, ज्वर (बुखार), वमन (उल्टी), विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल) तथा शारीरिक और यौन दुर्बलता को खत्म करता है.

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