लेग कर्ल एक्सरसाइज के फायदे

जिम और फिटनेस सेंटरों में अक्सर देखने को मिलता है कि लोगों का पूरा ध्यान छाती, कंधों और बाइसेप्स के ही व्यायामों पर रहता है। पैरों का व्यायाम कठिन होता है, ऐसे में लोगों का ध्यान इस ओर कम ही जाता है। इतना ही नहीं छाती और बाजुओं के लिए तो कई सारे व्यायाम ​हैं, लेकिन पैरों के व्यायाम सीमित हैं। यहां तक कि जो लोग नियमित जिम जाते हैं, लेग-डे पर उन लोगों में भी कोई खास उत्साह दिखाई नहीं देता है।

बाजुओं के लिए कई ऐसे कर्ल व्यायाम हैं, जिनसे अकेले ही पूरे वर्कआउट का लाभ प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन पैरों के मामले में यहां भी उपेक्षा ही देखने को मिलती है। पैरों के लिए सिर्फ एक ही कर्ल व्यायाम है जिसे लेग कर्ल या हैमस्ट्रिंग कर्ल के नाम से जाना जाता है। जांघों के पीछे की बड़ी मांसपेशी जिसे हैमस्ट्रिंग के नाम से जाना जाता है, इसके लिए लेग कर्ल बेहतर व्यायाम है। इस व्यायाम के दौरान सिर्फ एक ही मांसपेशी के समूह को लक्षित किया जाता है। लेग कर्ल व्यायाम को दो तरीकों से किया जा सकता है। पहला, इसे आप जिम में लेग कर्ल मशीन के साथ कर सकते हैं। दूसरा अगर आप जिम नहीं जाना चाहते तो इसे घर पर भी एक बेंच पर डम्बल के साथ कर सकते हैं।

लेग कर्ल एक्सरसाइज के फायदे –
लेग कर्ल व्यायाम सीधे आपकी हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों को लक्षित करती है। इससे पैर की अन्य मांसपेशियों को भी शक्ति और लचीलापन मिलता है। व्यायाम में अगर थोड़ा सा परिवर्तन किया जाए तो पिंडलियों को भी लक्षित किया जा सकता है जो पैरों की मजबूती में काफी आवश्यक हैं।

लेग कर्ल व्यायाम से घुटने, कूल्हे या पीठ के निचले हिस्से की इंजरी यानी चोट और घुटने में दर्द की समस्या से भी मुक्ति पाई जा सकती है। पैरों के व्यायाम से आपके फेफड़ों को भी फायदा मिलता है। अगर आप दैनिक रूप से पैरों के व्यायाम करते हैं तो इससे कार्डियोवैस्कुलर और फेफड़ों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान कर सकते हैं। जांघों पर जमी अनावश्यक चर्बी को हटाने में भी यह काफी प्रभावी व्यायाम है।

लेग कर्ल एक्सरसाइज करने का सही तरीका –
किसी भी व्यायाम को शुरू करने से पहले अच्छी तरह से वार्म-अप करना बहुत आवश्यक होता है। वार्म-अप के लिए आप हाई-नी, जंपिंग जैक, स्किपिंग रोप या ट्रेडमिल का प्रयोग कर सकते हैं। शरीर की मांसपेशियों में उष्मा आने से व्यायाम के दौरान चोट लगने का खतरा कम होता है।

लेग कर्ल मशीन पर व्यायाम के दौरान पैरों की स्थिति को बदलकर आप आंतरिक और बाहरी जांघों को भी लक्षित कर सकते हैं। व्यायाम में किसी परिवर्तन से पहले प्रशिक्षक की सलाह जरूर लें।

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