Covid-19: क्या बदल जाएगा ‘दो गज की दूरी मास्क है जरुरी’ का फॉर्मूला हुवा फ़ैल, हवा में फैल सकता है कोरोना एयरोसोल

कोरोना वायरस कैसे फैलता है, इसे लेकर तमाम तरह की रिसर्च सामने आई हैं। इन रिसर्च के आधार पर ही केंद्र सरकार ने ‘दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी’ का फार्मूला ईजाद किया गया था। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार इस फार्मूले को मूल मंत्र के तौर पर लोगों को अपनाने को कहा, लेकिन भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन ने यह बताकर चौंका दिया है कि कोरोना वायरस का एयरोसोल (महीन कण) 10 मीटर की दूरी तय कर सकता है।

इसस पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लैंसेट और अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ भी वायरस के हवा से फैलने की बात कह चुके हैं। देश में संक्रमण की दूसरी लहर के बीच प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया है कि रोकथाम के लिए डबल मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन पर ध्यान देना जरूरी है।

क्या बदलने होंगे कायदे?

‘दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी’ के नियम-कायदे क्या बदलने होंगे? इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के फाइनेंस सेक्रेटरी डॉ अनिल गोयल ने बताया कि इस बार की लहर में यह देखा गया कि परिवार में यदि एक व्यक्ति को कोरोना हो गया तो पूरा का पूरा परिवार संक्रमित हो रहा है।

उन्होंने कहा, “यह सब ड्रॉपलेट और एयरोसोल की वजह से ही संभव हुआ। संक्रमित मरीज यदि एक कमरे में है तो भी दूसरे कमरे के लोग संक्रमित हो जा रहे हैं। ऐसे में पुख्ता तौर पर यह जानकारी आने से हमें कोरोना प्रोटोकॉल में बदलाव की संभावना दिखती है। जिसमें घर में यदि कोई संक्रमित है तो दूसरे सदस्य कम से कम डबल मास्क लगाकर जरूर रहें।”

इस पर पुख्ता जानकारी नहीं है

कोरोना वायरस कहां और कितनी देर तक फैलता है, इसे लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन तमाम तरह के रिसर्च इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह हवा में 8 से 10 घंटे तक रह सकता है। इसके साथ ही प्लास्टिक पर 3 से 4 घंटे, स्टील और कागज पर दो घंटे तक रहने की संभावना बताई गई है। इसलिए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने भी संक्रमित व्यक्ति के आसपास की जगहों को सैनिटाइज करने और समय पर हाथ धोने की प्रक्रिया को अपनाने को कहा है।

एयरबार्न सावधानी पर हो रहा विचार

WHO की ओर से अस्पताल में काम करने वाले हेल्थ वर्कर्स के लिए खास तौर पर एयरबार्न प्रिकॉशन पर विचार किया जा रहा है। इस बात की आशंका जताई जा रही है कि जिन अस्पतालों में खासकर कोविड का इलाज होता है, वहां एयरोसोल की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसे में हेल्थ केयर वर्कर्स आसानी से संक्रमित हो सकते हैं। यही वजह है कि उन्हें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *