कार में आने वाले इन ‘लग्जरी’ फीचर्स के झांसे में मत फंसना, नहीं तो हो जायेगा नुकसान
आजकल कार कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए कई तरह के फीचर दे रही हैं। ग्राहक भी टाइट बजट होने के बावजूद इन फीचरों की तरफ आकर्षित होकर तुरंत कार खरीद लेते हैं, लेकिन जब वे इनका इस्तेमाल करने लगते हैं, तो उन्हें लगता है कि ये फीचर उनके ज्यादा काम के नहीं हैं, जितना उन्होंने सोचा था। बाद में उन्हें पछतावा होता है कि उन्होंने बेवजह ही इन फीचर्स पर इतने पैसे खर्च कर दिए। आइए हम आपको बता रहे हैं उन 10 फीचरों के बारे में, जिन्हें आप चाहें तो कार खरीदते वक्त नजरंदाज कर सकते हैं…
कीलेस पुश बटन आजकल कई कारों में कॉमन है। कार कंपनियां इस फीचर को प्रमुखता से हाईलाइट करके बेचती हैं। बी-सेगमेंट की हैचबैक कारों में यह फीचर बहुत मिलता है। पहले ये फीचर केवल टॉप वेरियंट के मॉडल्स में ही दिखता था। लोग आकर्षित हो कर इस फीचर के चलते कार को खरीद लेते हैं, लेकिन इस फीचर से कोई फायदा नहीं होता है। हालांकि केवल कार को बिना चाबी के अनलॉक किया जा सकता है और केवल एक पुश बटन से कार ही को स्टार्ट किया जा सकता है। आजकल आने वाली ज्यादातर कारों में रिमोट लॉकिंग फीचर मिलता है और बटन दबा कर कार को लॉक-अनलॉक किया जा सकता है। लेकिन कीलेस पुश बटन स्टार्ट अगर आपको स्टैंडर्ड मिलता है, तब तो ठीक है, लेकिन एक्स्ट्रा खर्च करके यह फीचर वाली कार लेना कतई फायदे का सौदा नहीं है।
कार कंपनियां आजकल ऑटोमैटिक हेडलैंप्स को लग्जरी फीचर बता कर इसकी मार्केटिंग करती हैं। वहीं कुछ ग्राहक झांसे फंस कर यह फीचर वाली कार खरीद भी लेते हैं। लेकिन समझदारी के चश्मे से देखा जाये तो यह कतई अक्लमंदी का सौदा नहीं है। आप मैनुअली भी कार की लाइट स्विच ऑन और स्विच ऑफ कर सकते हो। वहीं अगर कार में यह फीचर आपको स्टैंडर्ड मिलता है, तो बेहतर है, लेकिन इस फीचर के लिए अलग से खर्च कर ऊंचे वेरियंट पर जाना समझदारी नहीं है।
एक समय था जब शेवरले ने अपनी ऑप्ट्रा कार में यह फीचर दिया था। जिसके बाद कई कार कंपनियों ने इस फीचर को देना शुरू कर दिया। वहीं अब कंपनियों ने मिड-लेवल हैचबैक्स और सस्ती कारों में भी यह फीचर दे रही हैं। भारत जैसे गर्म और नमी वाले देश में सनरूफ पर खर्च करना समझदारी नहीं है। जिन लोगों के पास सनरूफ वाली कारें हैं, खुद उनका अनुभव है कि इससे कार में धूल आ जाती है, वहीं शुरुआत में ओपन रूफ के साथ चलना लुभावना लगता है लेकिन बाद में इससे तौबा कर ली।
आजकल बेज इंटीरियर तमाम कारों में मिलता है। कार कंपनियां इस फीचर को प्रमुखता से हाईलाइट करके बेचती हैं। वहीं बेज इंटीरियर होने से कार सबसे ज्यादा गंदी होती है। कार के इंटीरियर में गहरे रंग हमेशा अच्छे होते हैं और उनमें दाग-धब्बे भी नहीं दिखाई देते। बेज रंग को मैनटेन करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है और उनकी रोज ही साफ-सफाई ड्राइक्लीनिंग वगैरहा करनी पड़ती है।
यह फीचर है जिसे कार कंपनियां गाड़ियां बेचते समय लग्जरी फीचर के नाम से प्रचारित करती हैं। वहीं ड्राइविंग के दौरान हमारा मेन फोकस ड्राइविंग होता है, लेकिन यह फीचर कई बार हादसे भी करवा सकता है। एसी की स्पीड को नोब के जरिये कंट्रोल किया जा सकता है और ड्राइविंग के दौरान ये करना आसान होता है, यहां तक कि बिना देखे भी नोब को एडजस्ट किया जा सकता है। लेकिन टच सेंसिटिव बटन को दबाने के लिए फोकस करना पड़ता है।