Do you know why Muslim people injure themselves with daggers on Muharram

क्या आप जानते हैं कि मुहर्रम के दिन मुस्लिम लोग अपने आपको खंजर से जख्मी क्यों करते हैं

दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं दुनिया में ऐसे बहुत सारे अजीब रीति रिवाज होते हैं जिसे सुनकर आप हैरान रह जाते होगे। आज हम आपको एक ऐसे ही रीति रिवाज के बारे में बताने वाले हैं जहां पर मुसम्मी लोग मोहर्रम के दिन अपने आपको खंजर से जख्मी करते हैं वह ऐसा क्यों करते हैं आज हम आपको बताने वाले हैं इसके पीछे क्या रहस्य है जिसे लोग यह दर्दनाक कार्य करते हैं तो चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

इस्लाम धर्म में चार पवित्र महीने होते हैं, उनमें से एक मुहर्रम का महिना सबसे पवित्र होता है. मुहर्रम शब्द में हरम का मतलब किसी चीज पर पाबंदी से हैं, और मुस्लिम समाज में या बहुत महत्व रखता है. शिया मुस्लिम इस दिन अपना खून बहाकर मातम मनाते हैं, शहादत को ताजिया सजाकर लोग अपनी खुशी जाहिर करते हैं। मुहर्रम महीने के शुरूआती दस दिनों को आशुरा कहा जाता है.

आशूरा क्या है?

आशूरा के दिनों को यौमे आशूरा के नाम से भी जाना जाता है. सभी मुसलमानों खासकर शिया मुस्लिमों के लिए इसकी बहुत अहमियत है. आशूरा करबला में इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है.

मुहर्रम में लोग खुद को जख्मी क्यों करते हैं?

शिया मुस्लिम अपनी हर खुशी का त्याग करके पूरे सवा दो महीने तक शोक और मातम मनाते हैं. हुसैन पर हुए ज़ुल्म को याद करके वह रोते हैं. ऐसा करने वाले सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि बच्चे, बूढ़े और महिलाए भी हैं.

यजीद ने युद्ध में औरतों और बच्चों को कैदी बनाकर जेल में डलवा दिया था. मुस्लिमो का मानना है की यजीद ने अपनी सत्ता को कायम करने के लिए हुसैन पर ज़ुल्म किए थे. उनही की याद में शिया मुस्लिम मातम करते हैं एवं रोते हैं.

इस दिन वह मातमी जुलूस निकालकर दुनिया के सामने उन ज़ुल्मों को रखना चाहते हैं, जो इमाम हुसैन और उनके परिवार पर हुए थे. वह खुद को जख्मी करके यह दिखाना चाहते हैं, कि ये जख्म तो कुछ भी नहीं हैं उन जुल्मो के आगे जो यजीद ने इमाम हुसैन को दिए थे.

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