बंदरों का उपवास : पढ़िए मजेदार पंचतंत्र की कहानिया हिंदी मे

सुंदरवन नाम का एक जंगल था जिसमे बंदरों क एक झुण्ड रहा करता था । एक बुजुर्ग बंदर सभी बंदरों का नेता था । बंदरों के नेता ने एक बार उपवास के पुण्य के बारे में चर्चा किया कि मनवजात मे उपवास करके व्यक्ति स्वस्थ एवं निरोग रहते थे ।

मैंने सोचा है कि हम भी उपवास करें । क्या कहते होl सभी बंदर उपवास के लिये राज़ी हो गये और उपवास के लिये योजना बनाये।

सभी बंदरों ने उपवास करना शुरु किये । फिर नेता ने कहा :- हम पहेले से ही खाने के लिये केला तैयार रखतें है।

जैसे ही उपवास खत्म होगा हम तुरंत केला खा लेंगे जिससे हमें दिक्कत नहीं होगीं। सभी ने हाँ बोलकर केले के पेड़ से केला तोड़कर रख लिये ।

इतने मे एक जवान बंदर ने कहा :- एक काम करते है हम केले को छीलकर रखतें हैं।

जैसे ही उपवास पुरा होगा हम तुरंत केला खा लेंगे। सभी ने हाँ बोलकर केले को छीलकर तैयार कर लिया ।

इतने मे दुसरे बंदर ने कहा :- हमनें केला तो छील लिया। अब इसे रखे कहा। अगर नीचे रखेंगे तो गंदा हो जयेगा । एक काम करतें है हम इसे मुँह में रखते है जैसे ही उपवास खत्म होगा हम तुरंत खा लेंगे।

नेता ने कहा :- सही बात है नीचे रखेंगे तो गंदा हो जयेगा हम इसे मुँह में रखते है।

सभी केले को मुँह मे रख लिये कुछ ही मिनट बाद सभी बंदरों के मुँह से लार टपकने लगा एवं जोर से भूख लगने लगी। मुँह से लार टपकता ही जा रहा था।

सभी बंदरों को बेचैनी थी कि कब केला खाने को मिले। बस आधा घण्टा ही हुआ था।

कि इतने मे एक जवान बंदर ने कहा :- एक काम करते है हम केले को पेट मे ही सुरक्षित रख देतें हैं। कब से मुँह से लार टपक रहा हैं।

नेता जी को इसी बात का इंतजार था। नेता ने कहा :- चलो अब हम केला खा लेते हैं उपवास पुरा हो गया।

नेता की बात खत्म हु़ई नहीं की सब बड़े चाव से केला खाना शुरु कर दिये l

तभी एक जवान बंदर ने कहा :- हमने भी आज उपवास करके दिखाया। भगवान हमें भी पुण्य देंगे।

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