बचपन में ही सिर से उठ गया था पिता का साया, माँ ने घर पर बनवाया पिच, आज है भारत का मैच विनर
भारत की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में खेलने का सपना हर युवा क्रिकेटर देखता है। लेकिन कुछ क्रिकेटर ही भारत की अंतरराष्ट्रीय टीम में खेल पाते हैं। आज की इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मां ने उसके पिता के निधन के बाद घर पर ही पिच तैयार कराई थी। आज वह भारतीय कप्तान विराट कोहली का भरोसेमंद और भारत का मैच विनर खिलाड़ी बन गया है। आइए जानते हैं उस क्रिकेटर के बारे में
हम जिस खिलाड़ी की बात कर रहे हैं कोई और नहीं बल्कि हनुमा विहारी है। हनुमा विहारी ने साल 2018 में इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम में डेब्यू किया था। उन्होंने अपने टेंपरामेंट में काफी अच्छा खासा प्रभाव छोड़ा और विराट कोहली की कप्तानी वाली टेस्ट टीम का नियमित रूप से हिस्सा बन गए हैं। हनुमा विहारी आज जिस मुकाम पर है उसमें उनकी मां का बहुत बड़ा योगदान है। बचपन से ही हनुमा विहारी को लोग भारतीय टीम का भविष्य का सितारा कहते थे। लेकिन उनका जीवन काफी संघर्ष भरा रहा।
12 साल की उम्र में ही हनुमा विहारी के सिर के ऊपर से उनके पिता का साया उठ गया। मां विजयलक्ष्मी ने हनुमा विहारी के सपनों को पूरा करने की ठान ली। क्रिकबज से बातचीत के दौरान हनुमा विहारी ने बताया कि मां ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में काफी योगदान दिया। उन्होंने कहा कि यदि मां को एक शब्द में बयां करूं तो वे काफी साहसी हैं। वे निडर है। यह उनके व्यक्तित्व की पहचान है।
अपने बुरे दिनों को याद करते हुए हनुमा विहारी की मां विजयलक्ष्मी ने कहा कि जब मेरे पति की मौत हो गई तो हनुमा विहारी की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई। वो अंडर-13 क्रिकेट में काफी पिछड़ रहा था। तब मैंने महसूस किया कि हनुमा विहारी को ज्यादा प्रैक्टिस की आवश्यकता है।
आगे हनुमा विहारी की मां ने बताया कि पति के निधन के बाद उनको मुआवजे के तौर पर कंपनी की ओर से कुछ पैसे मिले थे। उस समय अंडर-13 क्रिकेट में हनुमा विहारी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे। उन्हें नेट के अलावा और ज्यादा प्रैक्टिस की जरूरत थी। उसी समय मैंने उन पैसों का इस्तेमाल हनुमा विहारी के लिए पिच तैयार करने में किया। अंडर-13 क्रिकेट में हनुमा विहारी ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। वह टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे।