फाउंडेशन कर रहा मदद ,लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई कर रहे गांव के बच्चें दिगंत
भारत में पिछले 7 महीनों से बच्चों के स्कूल बंद है वैसे तो हर साल जुलाई के महीने में बच्चों के स्कूल खुल जाते हैं लेकिन इस बार बीमारी के चलते अभी तक स्कूल शुरू नहीं हो पाए हैं स्कूलों पर पिछले 7 महीनों से ताला लगा हुआ है ऐसे में बच्चों की पढ़ाई भी खराब हो रही है तो वही कई बच्चों को इंटरनेट एवं व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है लेकिन भारत में कई ऐसे लोग हैं जिनके पास इंटरनेट से ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए पर्याप्त साधनों की कमी है वहीं अधिकतर गरीब लोगों के पास स्मार्टफोन भी उपलब्ध नहीं है जिसकी वजह से कई गरीब बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है वही महाराष्ट्र के पालघर जिले में रहने वाले आदिवासी लोगों के बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के लिए दिगंत फाउंडेशन आगे आया है जो कि आदिवासी इलाकों में रहने वाले बच्चों तक एक स्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे है
वही गांव मैं रहने वाले 1200 बच्चे लाउड स्पीकर से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं फाउंडेशन ने इस स्कूल का नाम बोलता स्कूल रखा है फाउंडेशन के डायरेक्टर राहुल टिवरेकर ने बताया कि लॉक डाउन के बाद से ही उनकी टीम इन आदिवासी इलाकों में दवाई एवं खान-पान से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे थे लेकिन जब उन्हें यह पता लगा कि बच्चों के स्कूल देर से खुलेंगे इस वजह से आदिवासी इलाकों में रहने वाले गरीब बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित नजर आए क्योंकि उनके पास ऑनलाइन पढ़ाई अपने बच्चों को कराने के लिए नियमित संसाधनों की कमी थी जिसके बाद फाउंडेशन के डायरेक्टर ने बच्चों को लाउडस्पीकर से पढ़ाने का तरीका खोजा और धीरे-धीरे बोलता स्कूल की मुहिम से गांव में रहने वाले अधिकतर बच्चे जुड़ते जाए और अब हजारों बच्चे लाउडस्पीकर से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं आपको बता दें कि फाउंडेशन द्वारा स्कूल के टीचरों से स्टडी मैटेरियल रिकॉर्ड कराया जाता है जिसके बाद रिकॉर्ड किए गए स्टडी सिलेबस को फाउंडेशन के सदस्य रोजाना गांव में सुबह 8 बजे पहुंच जाते हैं और बच्चों की पढ़ाई शुरू हो जाती है रोजाना ढाई घंटे तक यह क्लास चलाई जाती है वही बोलता स्कूल की सफलता के बाद महाराष्ट्र के कई जिलों मैं इस तकनीक का उपयोग किया जाने लगा है