सत्यम और शिवम नाम के दो मित्र की पढ़े मजेदार कहानी ।
सत्यम और शिवम नाम के दो मित्र थे। उन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थे। वे दोनों एक ही स्कूल में साथ साथ पड़ते थे। सत्यम पढ़ने में बहुत तेज़ था और शिवम को पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता था। वह पढ़ने के समय में मस्ती करने में ज्यादा ध्यान देता था। सत्यम हमेशा पढ़ने में ध्यान देता था और हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम स्थान से पास होता था और शिवम किसी तरह मुश्किल से सिर्फ पास होता था। दसवीं कक्षा में सत्यम प्रथम स्थान से पास हो जाता है और शिवम केवल पास होता है। दसवीं तक पढ़ने के बाद वे दोनों अलग अलग हो जाते है और दोनों अलग अलग कॉलेज में नामांकन करा लेते है। वे दोनों अपने अपने पढ़ाई लिखाए में व्यस्त हो जाते हैं।
सत्यम पढ़ता ही गया और आईएससी, बीएससी, एमएससी और पीएचडी की डिग्री लेकर एक सफल वैज्ञानिक बन जाता है। वह अपनी सफलता से बहुत खुश होता है उसे अपने आप पर बहुत गर्व महसूस होता है क्योंकि वह एक सफल वैज्ञानिक बनना चाहता था और अपने मेहनत के बल पर वह एक सफल वैज्ञानिक बन चुका था। उसे उत्कृष्ठ अनुसंधान कार्य के लिए एक मंत्री द्वारा अवॉर्ड मिलना था। जिस दिन उसे अवॉर्ड मिलने वाला था उस दिन वह घर से निकलता है। रास्ते में उसे अपने मित्र शिवम की याद आती है वह सोचने लगता है कि वह पढ़ने में ध्यान नहीं देता था शायद आज वह कोई छोटा मोटा काम कर रहा होगा । वह सोचता है कि यदि शिवम आज मेरे साथ होता तो मुझे इस मुकाम पर देख कर कितना खुश होता। सत्यम सोचता है कि काश शिवम भी मेरे ही तरह किसी अच्छे पोस्ट पर होता।
ऐसा सोचते सोचते वह अवॉर्ड लेने के लिए पहुंच जाता है। वहां उसे पता चलता है कि उसे जिस मंत्री द्वारा अवॉर्ड मिलने वाला है उसका नाम शिवम है। वह मन ही मन सोचने लगता है काश वह मंत्री मेरा मित्र होता। सत्यम को अवॉर्ड लेने के लिए स्टेज पर बुलाया जाता है। जब वह स्टेज पर जाता है तब वह स्टेज पर शिवम को देखता है जो कि मंत्री बन चुका था और उसे के हाथों सत्यम को अवॉर्ड मिलने वाला था। सत्यम अपने मित्र शिवम को देख कर बहुत खुश होता है क्योंकि आज वह भी उसे के तरह एक अच्छे पोस्ट पर है । शिवम सत्यम को अवॉर्ड देता है। दोनों की एक दूसरे को देखकर बहुत खुश होते है। शिवम मज़ाक मज़ाक में सत्यम को बोलता है कि अगर तुम्हें मेरे ही हाथों अवॉर्ड लेना था तो इतना पढ़ने कि क्या जरूरत थी।