सांस लेने में दिक्कत है तो 40 मिनट पेट के बल लेट जाएं

सांस लेने में तकलीफ होने पर इस अवस्था में 40 मिनट लेटकर आक्सीजन लेवल सुधरता है। पेट के बल लेटने से वेंटिलेशन परफ्यूजन इडेक्स में सुधार आता है। डॉक्टरों ने कोरोनाकाल में कोविड के सांस लेने में दिक्कत आने वाले मरीजों के लिए तकनीक को जरूर आजमाने की सलाह दी है।

पानी की वजह से ऑक्सीजन नहीं ले पाते

प्रोन पॉजिशन एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम में इस्तेमाल की जाती है। एआरडीएस होने से फेफड़ों के निचले हिस्से में पानी आ जाता है। पीठ के बल लेटने से फेफड़ों के निचले हिस्से की एल्वियोलाई में खून तो पहुंच जाता है, लेकिन पानी की वजह से आक्सीजनेशन व कार्बन डाइआक्साइड को निकालने के प्रोसेस में दिक्कत होती है।

ऐसे हालात में ठीक तरीके से ऑक्सिजिनेशन नहीं होने पर ‘प्रोन वेंटिलेशन’ दिया जाता है। यानी मरीज को पेट के बल लिटा दिया जाता है। गर्दन के नीचे एक तकिया, पेट-घुटनों के नीचे दो तकिए लगाते हैं और पंजों के नीचे एक। हर 6 से 8 घंटे में 40 से 45 मिनट तक ऐसा करने से मरीज को फायदा मिलता है।

पेट के बल लेटकर हाथों को कमर के पास पैरलल भी रख सकते हैं

साधारणतया पेट के बल लिटाकर हाथों को कमर के पास पैरलल भी रख सकते है। इस अवस्था में फेफड़ों में खून का संचार अच्छा होने लगता है। फेफड़ों में मौजूद फ्लूड इधर-उधर हो जाता है, जिससे लंग्स में आक्सीजन आसानी से पहुंचती रहती है। आक्सीजन का लेवल गिरता भी नहीं है।

प्रोन पोजीशन वेंटिलेशन सुरक्षित और खून में आक्सीजन लेवल बिगड़ने पर नियंत्रण में मददगार है। बीमारी के कारण मृत्यु दर को कम करने सहायक है। आईसीयू में भर्ती मरीजों में अच्छे परिणाम मिलते हैं। वेंटीलेटर नहीं मिलने की स्थिति में सबसे अधिक कारगर। 80% नतीजे वेंटीलेटर जैसे ही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *