जानिए लाल किले के बारे मे ऐतिहासिक तथ्य!

लाल किला १८५७ तक तकरीबन २०० सालो तक मुगल साम्राज्य का निवास स्थान था। लाल किला दिल्ली में है। लाल किला मुगलों का मुख्य किला था, अंग्रेजों के लगभग सभी कार्यक्रम लाल किले में ही होते थे। लाल किले का निर्माण १६४८ में पाँचवे मुगल बादशाह शाह जहाँ ने अपने महल के रूप में बनवाया था। लाल किला पूरी तरह से लाल पत्थरो का बना हुआ है और इसी वजह से इसका नाम लाल किला पड़ा।

१५४६ में इस्लाम शाह सूरी द्वारा बनाये सलीमगढ़ किले की तरह ही लाल किले का भी निर्माण किया गया था। इस खुबसूरत किले में रंगमंच की कतारे बनी हुई है जो पानी के चैनल से जुडी हुई है और इसे नहर-ए-बहिश्त कहा जाता है। यह किला मुग़ल शासक शाहजहाँ के शासनकाल की रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है। 

मुस्लिम परंपराओ के अनुसार ही इस किले का निर्माण किया गया था। लाल किले में हमें मुस्लिम महलो की प्रतिकृतिया दिखाई देती है, साथ ही लाल किले में हमें पर्शियन परंपराओ की छवि भी दिखाई देती है। किले के बाहर एक मनमोहक गार्डन भी है लेकिन लाल किले में बना गार्डन हमें दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, कश्मीर, ब्रज और रोहिलखंड के गार्डन से थोडा अलग दिखाई देता है। सलीमगढ़ किले के साथ ही लाल किले को भी सन् २००७ में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल किया गया था। स्वतंत्रता दिवस (१५ अगस्त) के दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले के मुख्य द्वार पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहराते है और एक भाषण भी देते है।

शाह जहाँ ने १६३८ में जब अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया तभी लाल किले का निर्माण करवाया। वास्तविक रूप से देखा जाये तो सफ़ेद और लाल शाह जहाँ के पसंदीदा रंग है, लाल किले को आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी ने ही डिजाईन किया था, और उन्होंने ही ताज महल का भी निर्माण किया था। यह किला यमुना नदी के पास ही बना हुआ है, और इसी वजह से लाल किले की दीवारे और भी मनमोहक नज़र आती है। लाल किले का निर्माणकार्य १३ मई १६३८ को शुरू हुआ था। और शाह जहाँ की देख-रेख में इसका निर्माण कार्य १६४८ में पूरा हुआ।

दुसरे मुगल किलों की तरह ही इस किले की सीमा पर बनी दीवारें भी सलीमगढ़ किले की तरह असममित ढंग से बनी हुई हैं। उस समय मनमोहक लाल किला बनने की वजह से दिल्ली को शाहजहानाबाद कहा जाता था। शाह जहाँ के शासन काल में लाल किला उनके शासनकाल की रचनात्मकता का प्रतिक माना जाता था। शाह जहाँ के बाद उनके उत्तराधिकारी औरंगजेब ने कृत्रिम मोतियों से बनी मस्जिद का भी निर्माण करवाया था, साथ ही औरंगजेब ने प्रवेश द्वार को और भी मनमोहक बनाने के लिये काफी कुछ बदलाव किये।

मुगल साम्राज्यों द्वारा किये गये किलो के निर्माण का औरंगजेब ने काफी पतन किया और १८ वी शताब्दी में मुगल शासनकाल में बने किलो और महलो को काफी क्षति भी पहुँची। १७१२ में जब जहंदर शाह ने लाल किले को हथिया लिया था तब तक़रीबन ३० सालो तक लाल किला बिना शासक के था। लेकिन शासनकाल के लागु होने के एक साल पहले ही शाह जहाँ की हत्या हो गयी और उनकी जगह फर्रुख्सियर ने ले ली। अपने राज्य की आर्थिक स्थिति सुधरने के लिये चाँदी की छत को कॉपर की छत में बदला गया। 

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